Lucknow News: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 का बिगुल बजने के साथ ही कांग्रेस के कई नेता पार्टी छोड़कर हटते चले जा रहे हैं. 2017 में कांग्रेस को यूपी में कुल 7 सीट मिली थीं. मगर अब इनके खाते में सिर्फ 3 विधायक ही रह गए हैं. वहीं, मंगलवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह ने भी कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है. ऐसे में सवाल उठना लाजिमि है कि क्या कांग्रेस के पुराने नेताओं को प्रियंका गांधी वाड्रा की नई राजनीति पसंद नहीं आ रही है.
राजनीतिक पंडित कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि यूपी कांग्रेस की खो चुके जनाधार को राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लौटाने का प्रयास कर रही हैं. इसमें कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू की जमीनी स्तर पर की गई कार्रवाई भी सराहनीय है. मगर यूपी चुनाव 2022 में जिस तरह से अधिसूचना लागू होने के बाद ताबड़तोड़ इस्तीफे हुए हैं. उससे ऐसा मालूम होता है कि पार्टी से जुड़े पुराने नेता इस नए नेतृत्व से कुछ खुश नहीं हैं.
बता दें कि पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद से लेकर राजाराम पाल, प्रियंका की सलाहकार समिति के सदस्य विनोद शर्मा, पूर्व सांसद हरेंद्र मलिक, उनके पूर्व विधायक बेटे पंकज मलिक, पूर्व सांसद सलीम शेरवानी, पूर्व सांसद चौधरी बिरेंदर सिंह एवं सहानरनपुर मंडल में खासी पकड़ रखने वाले इमरान मसूद समेत तमाम नेता कांग्रेस छोड़ चुके हैं. इस सूची में कमलापति त्रिपाठी के परिवार के ललितेशपति त्रिपाठी भी शामिल हैं. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) का दामन थाम लिया है.
इसी क्रम में मंगलवार को मंगलवार को कांग्रेस का एक बड़ा चेहरा उन्हें छोड़कर अलग हो गया है. इस चेहरे का नाम है आरपीएन सिंह. आरपीएन सिंह यूपी कांग्रेस के बड़े नेता हैं एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं संभावना जताई जा रही है कि पार्टी आलाकमान से आरपीएन सिंह किसी बात पर नाराज चल रहे हैं. यही कारण है कि वह भाजपा का दामन थाम सकते हैं. हाल में यह भी देखा गया है कि वे यूपी में कांग्रेस के प्रचार कार्यक्रम में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे थे. कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद आरपीएन सिंह ने ट्वीट किया। उन्होंने लिखा, ‘आज, जब पूरा राष्ट्र गणतंत्र दिवस का उत्सव मना रहा है, मैं अपने राजनैतिक जीवन में नया अध्याय आरंभ कर रहा हूं.’
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वहीं, साल 2017 में कांग्रेस के पंजा निशान पर यूपी में सात विधायकों ने जीत हासिल की थी. इनमें से 4 विधायक भी पार्टी छोड़ चुके हैं. इनमें से तीन बीजेपी और एक सपा में शामिल हो चुके हैं. खुद सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली से विधायक अदिति सिंह और राकेश सिंह को बीजेपी का साथ कांग्रेस से ज्यादा भा गया. उधर, पश्चिमी यूपी से नरेश सैनी भी बीजेपी में शामिल हो गए. चौथे विधायक मसूद अख्तर सपा में शामिल हो चुके हैं. जाहिर है, इन नेताओं का टिकट कटने का तो कोई सवाल ही नहीं था. फिर भी वे पार्टी को छोड़कर चले गए.
इस संबंध में राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि कांग्रेस का यूपी जनाधार यूं ही कम है. प्रियंका गांधी जिस तरह से ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ की थीम पर चुनाव लड़ रही हैं. उससे पार्टी भले ही चर्चा में आई है. मगर इसमें कोई दो राय नहीं है कि 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने से दूसरे नेताओं को दिक्कत हो रही है. ऐसे में वे पार्टी से किनारा कर रहे हैं. इस संबंध में ‘प्रभात खबर’ कांग्रेस प्रवक्ताओं से बात करनी चाही तो उन्होंने इसे नेताओं के व्यक्तिगत फैसले कहते हुए कुछ भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया.