Varanasi News: हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने छात्रों की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि हिजाब इस्लाम के धार्मिक व्यवहार का हिस्सा नहीं है. हाईकोर्ट के फैसले का काशी संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने स्वागत किया है. साथ ही कहा कि हम संत इस बात से प्रसन्न हैं कि कोर्ट ने समझा की देश संविधान से चलेगा न की शरिया से.
संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने मंगलवार की देर शाम सोशल मीडिया पर बयान जारी करते हुए कहा कि, कर्नाटक हिजाब के प्रश्न पर कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय का अखिल भारतीय संत समिति स्वागत करती है. संत समिति इस बात से प्रसन्न है की न्यायालय ने यह समझा कि देश संविधान से चलेगा, शरिया से नहीं और मुझे लगता है इस देश के तथाकथित अल्पसंख्यक यह शब्द इस लिए प्रयोग कर रहा हूं कि भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक की परिभाषा अभी तक तय नहीं की है.
सुप्रीम कोर्ट इस प्रश्न पर संज्ञान ले रहा है कि, धार्मिक स्वतंत्रता की आड़ में अगर गैरकानूनी और असंवैधानिक और अनुशासनहीन बातें की जाएंगी यह ठीक नहीं होगा. देश के हित में इस बात को उच्च न्यायालय ने समझा है और उनके धर्म में भी उनके संप्रदाय में भी हिजाब शरिया का हिस्सा नहीं है. जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि, मुझे लगता है कि भगवान उन्हें अक्ल दे और इस बात को वे समझते हुए देश की मुख्य धारा में जीने का अभ्यास करें.
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दरअसल, मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए छात्र-छात्राओं की दायर याचिका खारिज कर दी थी. कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि, हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं है. हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम में अनिवार्य नहीं है. जिसके बाद अब शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह