Mainpuri: प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव ने फिर से समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है. शिवपाल सिंह यादव की पार्टी का विलय राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी में हो गया है. यह निर्णय शिवपाल यादव ने उपचुनाव की जीत के बाद किया. सुबह से ही डिंपल यादव अपने प्रतिद्वंदी रघुराज शाक्य से आगे चल रही थीं. ऐसे में सपा कार्यकर्ताओं का जोश देखते बन रहा था.
चाचा शिवपाल सिंह यादव के समाजवादी पार्टी में शामिल होने पर विधानसभा और लोकसभा चुनाव का जो गणित बीजेपी ने बनाया था. अब वह पूरी तरह से बिगड़ सकता है. वहीं सैफई परिवार में विवाद के बाद से लेकर मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल की जीत का सफर कई उथल पुथल से गुजरा.
इस पर नजर डालें तो मुलायम सिंह यादव के परिवार में हुए पारिवारिक विवाद के बाद उनके छोटे भाई शिवपाल यादव और मुलायम सिंह के पुत्र अखिलेश यादव के बीच दूरियां बढ़ गई थी. परिवार में विघटन हो गया था और शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से किनारा कर लिया था. कुछ समय तक शिवपाल यादव राजनीति में निष्क्रिय रहे और उसके बाद उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया का गठन किया. इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद शिवपाल सिंह यादव बने.
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव और पार्टी के तमाम बड़े पदाधिकारियों व सैफई परिवार के पुराने रिश्तेदारों द्वारा अखिलेश यादव और शिवपाल यादव के बीच की दूरी को खत्म करने की कोशिश की गई. लेकिन, ये प्रयास पूरी तरह से विफल रहे. अखिलेश और शिवपाल अपनी अपनी राह पर चलने लगे.
इस बीच अधिक उम्र के कारण मुलायम सिंह की भी सेहत खराब रहने लगी. पार्टी से जुड़े कार्यों में उनकी सक्रियता बेहद कम हो गई. अखिलेश अध्यक्ष के तौर पर पार्टी को आगे बढ़ाने में जुटे रहे. मुलायम सिंह यादव की तबीयत काफी बिगड़ने की वजह से उन्हें गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया. इसी अस्पताल में उनकी पत्नी साधना गुप्ता का भी इलाज के दौरान निधन हुआ था. वहीं 10 अक्टूबर को सुबह 8:10 बजे नेताजी ने मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली. मुलायम के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट रिक्त होने के कारण यहां उप चुनाव की घोषणा हुई. पार्टी ने डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया.
इस बीच अखिलेश यादव ने चाचा शिवपाल यादव के घर जाकर उन्हे मनाया. इसके बाद सैफई कुनबा सियासी तौर पर फिर एक हो गया. चुनावी मैदान में उतर गई. डिंपल यादव के नाम के ऐलान से पहले मैनपुरी लोकसभा सीट पर मुलायम सिंह की दूसरी बहू अपर्णा यादव का भी नाम काफी चर्चा में रहा. ऐसे में कयास लगाए जाने लगे कि भाजपा अब अपर्णा यादव को अपनी जेठानी के सामने खड़ा कर सकती है. लेकिन, पार्टी ने शिवपाल यादव के करीबी रघुराज सिंह शाक्य को उम्मीदवार घोषित किया.
वहीं कांग्रेस और बसपा ने अपने प्रत्याशी नहीं उतारे, जिससे मैनपुरी लोकसभा का रण सिर्फ सपा और भाजपा के लिए ही बच गया. इसके बाद 5 दिसंबर को छिटपुट शिकायतों और घटनाओं के बीच मैनपुरी लोकसभा सीट पर मतदान संपन्न हो गया. गुरुवार को हुई मतगणना में डिंपल यादव ने बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य से 288461 वोटों से जीत दर्ज की.
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डिंपल यादव की जीत के बाद प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल यादव ने भी समाजवादी पार्टी में वापसी कर ली है. उन्होंने अखिलेश यादव के साथ सपा का झंडा लेकर मीडिया के सामने पार्टी के विलय की घोषणा की. शिवपाल यादव ने कहा कि मैनपुरी लोकसभा के लोगों ने नेताजी मुलायम सिंह यादव को यह सच्ची श्रद्धांजलि दी है. आज नेताजी की आत्मा को शांति मिल रही होगी क्योंकि उनकी बहू ने मतगणना में नेताजी का रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है. बाद में डिंपल यादव अपने पति अखिलेश यादव के साथ चुनाव अधिकारी के कार्यालय पहुंची और वहां से उन्होंने अपनी जीत का प्रमाण पत्र लिया.