Kaal Bhairav Jayanti 2022: काल भैरव भगवान शिव के अनेक रूपों में से ही एक है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, काल भैरव, शिव जी के पांचवे अवतार हैं. हर साल की तरह इस साल भी मार्गशीर्ष महीने की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन काल भैरन जयंती मनाई जाएगी. चलिए जानते हैं काल भैरव जयंती के शुभ मुहूर्त और पूजा से जुड़े विधि-विधान के बारे में…
मान्यता है कि, कालभैरव की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं तो पूरी होती ही हैं, इसके साथ ही श्रद्धालुओं की आयु में भी वृद्धि होती है. इसके अलावा मान्यता है कि जो लोग परेशानियों और नकारात्मकता से घिरे होते हैं. ऐसे लोगों के जीवन में बाबा काल भैरव की पूजा करने से पॉजिटिविटी आती है, और सभी बिगड़े काम बन जाते हैं.
इस साल काल भैरव जयंती अष्टमी तिथि 16 नवंबर यानी बुधवार को सुबह 5 बजकर 49 मिनट से शुरू हो रहा है. जबकि, 17 नवंबर दिन गुरुवार को सुबह 7 बजकर 57 मिनट पर समाप्त हो रहा है.
काल भैरव भगवान शिव का रूप है. काल भैरव का रूप बहुत ही रौद्र, विकराल, भयानक और प्रचण्ड है. काल भैरव ने अपनी अंगुली के नाखून से प्रजापिता श्री ब्रह्मा का गर्व का मर्दन किया और इनके पांचवे सिर को काट दिया था. जिसके बाद बाबा भैरव पर ब्रह्महत्या दोषी हो गए. जिसके बाद उन्हें काशी तीर्थ में ब्रह्महत्या से मुक्ति मिली थी.
इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प करना चाहिए. इसके बाद काल भैरव के मंदिर में जाकर सच्चे मन से पूजा करनी चाहिए. इस दिन कुश के आसन पर बैठकर ‘ऊँ भैरवाय नमः, ’ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:” मंत्र का कम से कम 11 बार माला जाप करें. इसके आलावा शमी के पेड़ के नीचे शाम के समय शुद्ध सरसों तेल का दीपक जलाना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं.