कानपुर में पहली बार हुई सीएचसी पोस्टमॉर्टम हाउस में तब्दील, ग्रामीणों ने लगाया लापरवाही का आरोप

देर रात 11 बजे जिलाधिकारी और अधिकारियों ने यह तय किया कि पोस्टमॉर्टम रात में ही कराया जाएगा. देर रात 10 डॉक्टरों के पैनल को मेडिकल कॉलेज से रवाना किया गया. मगर भीतरगांव सीएचसी में ग्रामीणों का गुस्सा देखने के बाद प्रशासन ने तय किया कि सीएचसी में जहां 24 शव रखे हैं वहीं पर पोस्टमार्टम करा दिया जाए.

By Prabhat Khabar News Desk | October 2, 2022 11:15 AM

Kanpur Accident News: कानपुर में अब तक हुए सबसे बड़े हादसे में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी सीएचसी को पोस्टमार्टम हाउस में तब्‍दील कर दिया गया हो. भीतरगांव सीएचसी में 24 शव पहले से रखे हुए थे. इसके अलावा दो शव हैलट में मौजूद थे. देर रात 11 बजे जिलाधिकारी और अधिकारियों ने यह तय किया कि पोस्टमॉर्टम रात में ही कराया जाएगा. देर रात 10 डॉक्टरों के पैनल को मेडिकल कॉलेज से रवाना किया गया. सुरक्षा बलों को अलर्ट कर दिया गया. मगर भीतरगांव सीएचसी में ग्रामीणों का गुस्सा देखने के बाद प्रशासन ने तय किया कि सीएचसी में जहां 24 शव रखे हैं वहीं पर पोस्टमार्टम करा दिया जाए.

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ग्रामीणों में आक्रोश

कानपुर में हुए हादसे में पुलिस-प्रशासन की लापरवाही को लेकर ग्रामीणों में काफी आक्रोश था. सरकारी अमला इसे भांप चुका था. अधिकारियों में बातचीत के दौरान यह आशंका जताई गई कि शहर में पोस्टमॉर्टम कराने पर यह सम्भव है कि भारी संख्या में ग्रामीण आ जाएंगे. इससे कानून व्यवस्था की स्थिति भी खराब हो जाएगी. पथराव, आगजनी और घेराव की आशंका भी जताई गई थी. यह सड़क हादसा अब तक का सबसे बड़ा मामला है जिसमें एक दिन में 26 लोगों की मौतें हुई हैं. इससे पूर्व 16 जुलाई 1986 को अकबरपुर में ट्रकों और कारों की भिड़ंत हुई थी. इसमें 13 लोगों की मौके पर मौत हुई थी और अस्पतालों में इलाज के दौरान चार दिनों में कुल 48 लोगों की मौत हुई थी.

नेताओं और अफसरों को दी गालियां

हादसे के बाद घायलों और शवों को भीतरगांव सीएचसी भेजा गया था. मंत्री, विधायक और अफसर भी वहां पहुंच गए. नेताओं को देख ग्रामीण भड़क गए और वहां रखे 24 शवों को उठाने नहीं दिया. सबको गालियां देते हुए मौके से चले जाने की चेतावनी तक दे डाली. ग्रामीणों ने इस पूरे मामले में पुलिस और प्रशासनिक अफसरों पर लापरवाही का आरोप लगाया है. घटना के बाद पुलिस प्रशासन ने कई मृतकों और घायलों को पहले सीएचसी भेजा गया. मगर वहां पर पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी. एक ही डॉक्टर की तैनाती थी. जो भी लोग वहां पहुंचे उनका तुरंत जांच कर डॉक्टर ने सभी को मृत घोषित करना शुरू कर दिया. इसी बीच सैकड़ों ग्रामीण सीएचसी के बाहर पहुंच गए और हंगामा शुरू कर दिया. उनका आरोप था कि डॉक्टर ने इलाज करने की जहमत नहीं उठाई. ट्रैक्टर-ट्रॉली पलटने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची मगर शुरुआत में जेसीबी से ट्रैक्टर-ट्रॉली को निकालने का कोई प्रयास नहीं किया गया. इसी के कारण इतनी जानें चली गईं. वही ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस-प्रशासन पहले ट्रॉली को अगर जेसीबी से हटा लेता तो इतनी जानें नहीं जातीं.

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र‍िपोर्ट : आयुष त‍िवारी

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