Kanpur Encounter, लखनऊ : बिकरू में दो जुलाई की रात सीओ समेत आठ पुलिस वालों की हत्या के मामले में एक के बाद एक नये तथ्य सामने आ रहे हैं. फॉरेंसिक जांच में अब यह चौंकाने वाली बात सामने आयी है कि विकास दुबे गिरोह के पास मौजूद हथियारों के जखीरे में खतरनाक .30-06 विंचेस्टर कारतूस भी थे. दो जुलाई को पुलिसकर्मियों पर गिरोह ने इन कारतूसों का इस्तेमाल किया था. विंचेस्टर कारतूस का प्रयोग भारत में नहीं किया जाता है. यह अमेरिकन सेना का हथियार रहा है. पुलिस जांच में जुटी है कि आखिर यह खतरनाक कारतूस गैंगस्टर विकास दुबे तक कैसे पहुंचा.
30-06 विंचेस्टर कारतूस का इतिहास
अमेरिकन सेना ने वर्ष 1906 में ईजाद किया था, वर्ष 1970 तक अमेरिकन सेना प्रयोग करती रही., अभी भी अमेरिकन और नाटो की सेनाएं इसके उच्चीकृत कारतूस का प्रयोग करती हैं.
भारतीय सेना और पुलिस भी नहीं करती विंचेस्टर कारतूस का इस्तेमाल
फॉरेंसिक टीम और पुलिस ने दूसरे दिन बिकरू गांव पहुंचकर मौके से 72 जिंदा व खाली कारतूस बरामद किये थे. इनमें से एक जिंदा कारतूस और दस खाली खोखे .30-06 विंचेस्टर कारतूस के थे. भारत में सेना, किसी भी राज्य की पुलिस या शस्त्र लाइसेंस धारक इसका प्रयोग नहीं करते हैं. इसका प्रयोग पहले अमेरिकन सेना करती थी. बाद में यूरोप और अमेरिका में निशानेबाजी के लिए किया जाने लगा. आइजी मोहित अग्रवाल का कहना है कि विंचेस्टर कारतूस मिलने की जानकारी फॉरेंसिक टीम ने दी है. ये विकास दुबे तक कैसे पहुंचे, इसकी जांच करायी जायेगी.
इन राइफलों में होता है प्रयोग
स्प्रिंग फील्ड राइफल, इनफील्ड राइफल, सेमी ऑटोमेटिक एम-1 ग्रारनेड राइफल, सेमी आटोमेटिक जानसन राइफल, फैमेज माउजर और विभिन्न प्रकार की मशीनगन में इन कारतूसों का प्रयोग किया जा सकता है.
Posted By : Rajat Kumar