Kanpur Metro: नयागंज मेट्रो स्टेशन पर कॉनकोर्स लेवल की कास्टिंग शुरू, टॉप-डाउन प्रणाली से हो रहा निर्माण
नयागंज मेट्रो स्टेशन, लगभग 225 मीटर लंबा और 22.3 मीटर चौड़ा होगा. वर्तमान में चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन के सभी चार स्टशनों; चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा और नयागंज में रूफ स्लैब (स्टेशन की छत) कास्टिंग का कार्य पूरी तेजी से आगे बढ़ रहा है.
Kanpur Metro: कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन के अंतर्गत नयागंज मेट्रो स्टेशन के कॉनकोर्स लेवल के कास्टिंग का कार्य आज आरंभ कर दिया गया. इस सेक्शन में पहली बार किसी स्टेशन पर कॉनकोर्स लेवल पर कास्टिंग का कार्य आरंभ हुआ है. इसके साथ ही टॉप-डाउन प्रणाली से हो रहे भूमिगत स्टेशन के विभिन्न तलों के निर्माण कार्य में यह महत्वपूर्ण प्रगति है.
खुदाई भी समानांतर चलेगीनयागंज मेट्रो स्टेशन, लगभग 225 मीटर लंबा और 22.3 मीटर चौड़ा होगा. वर्तमान में चुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन के सभी चार स्टशनों; चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा और नयागंज में रूफ स्लैब (स्टेशन की छत) कास्टिंग का कार्य पूरी तेजी से आगे बढ़ रहा है. नयागंज में एक चरण आगे बढ़कर यह कॉनकोर्स लेवल के कास्टिंग तक पहुंच गया है.
नयागंज मेट्रो स्टेशन में कॉनकोर्स बनाने के लिए खुदाई का कार्य 8 जुलाई से आरंभ हुआ था. स्कोप ऑफ वर्क के तहत आने वाले खुदाई के क्षेत्र में से बड़े हिस्से को कवर कर लिया गया है और अब इसपर कॉनकोर्स स्लैब की कास्टिंग शुरू कर दी गई है. कॉनकोर्स कास्टिंग के साथ ही स्टेशन पर कॉनकोर्स लेवल की खुदाई और रूफ स्लैब की कास्टिंग व खुदाई भी समानांतर चलेगी.
Also Read: Amrit Mahotsav: नाना राव पेशवा और तात्या टोपे के सम्मान में कानपुर मेट्रो ने रखा टनल मशीनों का नाम प्लेटफ़ॉर्म लेवल का निर्माणचुन्नीगंज-नयागंज भूमिगत सेक्शन के चारों मेट्रो स्टेशन टॉप-डाउन प्रणाली के साथ तैयार किए जा रहे हैं यानी निर्माण प्रक्रिया ऊपर से नीचे की ओर की जा रही है. भूमिगत स्टेशन का कॉनकोर्स लेवल यानि पहला तल, जहां पर टिकट काउंटर्स एवं सुरक्षा जांच बूथ आदि यात्री सुविधाएं होती हैं. उपरिगामी स्टेशनों के कॉनकोर्स लेवल के ठीक विपरीत सड़क से एक तल नीचे होता है. इन स्टेशनों पर टॉप-डाउन प्रणाली से निर्माण के तहत सबसे पहले ऊपरी भाग यानी स्टेशनों के छत की ढलाई होती है, जिसके बाद कॉनकोर्स लेवल और फिर प्लेटफ़ॉर्म लेवल का निर्माण होता है.
एस्केवेटर मशीनें कैसे काम करती हैं?कॉनकोर्स तैयार करने के लिए रूफ़ स्लैब (स्टेशन की छत) में कट-आउट बनाए गए हैं. एस्केवेटर मशीनें, इन कट-आउट्स के ज़रिए नीचे उतारी जाती हैं, जो खु़दाई के बाद मिट्टी को बाहर निकालती हैं. इसके बाद ही कॉनकोर्स स्लैब बनाने की प्रक्रिया आरंभ की जाती है, जैसे आज नयागंज मेट्रो स्टेशन में की गई. कॉनकोर्स स्लैब के बाद प्लैटफ़ॉर्म लेवल बनाने के लिए भी यही प्रक्रिया दोहराई जाती है और कॉनकोर्स स्लैब में कट-आउट्स बनाकर एस्केवेटर मशीनों को नीचे उतारा जाता है. इन कट-आउट्स के ज़रिए ही निर्माण के लिए जरूरी मशीनों एवं अन्य ज़रूरी उपकरणों को कॉनकोर्स और प्लैटफ़ॉर्म तक पहुंचाया जाता है. नयागंज मेट्रो स्टेशन में, चार कट-आउट्स के ज़रिए, कॉनकोर्स और प्लेटफ़ॉर्म का निर्माण किया जा रहा है.
वाहनों की आवाजाही रहेगी जारीनिर्माणाधीन स्टेशन पर चल रहे काम से ट्रैफ़िक कम से कम प्रभावित हो, यह सुनिश्चित करने के लिए ही टॉप-डाउन प्रणाली को अपनाया गया है ताकि रोड लेवल से शुरू करते हुए पहले तल का निर्माण होने के बाद, सड़क पर लगी बैरिकेडिंग को कम किया जा सके. इसके बाद सड़क के नीचे स्टेशन का निर्माण कार्य चलता रहेगा और सड़क पर वाहनों की आवाजाही भी सुचारू रूप से जारी रहेगी.
चार भूमिगत मेट्रो स्टेशनों का निर्माणकानपुर मेट्रो के पहले कॉरिडोर (आईआईटी-नौबस्ता) के अंतर्गत चुन्नीगंज से नयागंज के बीच लगभग 4 किमी. लंबे भूमिगत सेक्शन का निर्माण तेज़ी के साथ जारी है. इस सेक्शन के अंतर्गत चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा और नयागंज; चार भूमिगत मेट्रो स्टेशनों का निर्माण किया जा रहा है.
रिपोर्ट : आयुष तिवारी