Vinay pathak Case: राहत न मिलने पर सीएसजेएमयू के कर्मचारियों में बढ़ा तनाव

विनय पाठक पर लगातार एसटीएफ का शिकंजा कसता जा रहा है. जिसे देखते हुए विवि के शिक्षक, अधिकारी व कर्मचारियों में भी हलचल बढ़ने लगी है. हाईकोर्ट के फैसले से विवि में कई लोग मायूस हैं तो कुछ फैसले की प्रशंसा भी के रहे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 16, 2022 2:25 PM

Kanpur News: छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक को आगरा विवि के मामले में हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है. विनय पाठक की एक ओर अर्जी को हाईकोर्ट ने खारिज किया तो दूसरी ओर सीएसजेएमयू के कर्मचारियों में तनाव बढ़ गया.

विनय पाठक पर लगातार एसटीएफ का शिकंजा कसता जा रहा है. जिसे देखते हुए विवि के शिक्षक, अधिकारी व कर्मचारियों में भी हलचल बढ़ने लगी है. हाईकोर्ट के फैसले से विवि में कई लोग मायूस हैं तो कुछ फैसले की प्रशंसा भी के रहे हैं.साथ ही इसे शिक्षा जगत का काला दिवस भी बता रहे हैं.

फैसले पर थी विवि के कर्मियों की नजर

सीएसजेएमयू के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक की गिरफ्तारी और एफआईआर दर्ज होने का मामले में मंगलवार को हाईकोर्ट से फैसला आना था. जिस पर विवि के कर्मी रोज की तरह कक्षाओं में पढ़ाते और कार्यालय में कार्य करते रहे. लेकिन, सबको कुलपति की सुनवाई पर हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार था. कुछ लोग उम्मीद लगाए थे कि विनय पाठक को हाई कोर्ट से राहत मिल जाएगी. दोपहर को अधिकारियों ने प्रभारी कुलपति संग कई बैठकें भी कीं. लोगों को जल्द प्रो. पाठक के वापस आने की उम्मीद थी. लेकिन, शाम पांच बजे जैसे ही हाईकोर्ट का फैसला मालूम पड़ा तो कुछ लोगों में मायूसी छा गई तो कुछ लोग फैसले पर प्रशंसा भी कर रहे थे.

निष्पक्ष हो जांच

सीएसजेएमयू के कूटा संरक्षक डॉ. विवेक द्विवेदी का कहना है कि न्यायालय के आदेश पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती. अब जांच एजेंसी प्रो.विनय पाठक के मामले में निष्पक्ष जांच करें.

यह था मामला

लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में एफआईआर दर्ज करवाने वाले डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के एमडी डेविड एम. डेनिस ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी 2014 से एग्रीमेंट के तहत आगरा विश्वविद्यालय में प्री और पोस्ट एग्जाम का काम करती रही. विश्वविद्यालय के एग्जाम पेपर छापना, कॉपी को एग्जाम सेंटर से यूनिवर्सिटी तक पहुंचाने का पूरा काम इसी कंपनी के द्वारा किया जाता रहा है.

साल 2019 में एग्रीमेंट खत्म हुआ तो डिजिटेक्स टेक्नोलॉजीज ने यूपीएलसी के जरिए आगरा विश्वविद्यालय का काम किया. इस बीच साल 2020 से 2022 तक कंपनी द्वारा किए गए काम का करोड़ों रुपये का बिल बकाया हो गया था. तभी जनवरी 2022 में अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के कुलपति का चार्ज विनय पाठक को मिला तो उन्होंने बिल पास करने के एवज में कमीशन की मांग की थी. फरवरी 2022 में कानपुर स्थित विनय पाठक के सरकारी आवास पर 15 फीसदी कमीशन की डिमांड रखी गई.

रिपोर्ट: आयुष तिवारी, कानपुर

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