Kanpur Zoo News: छोटी सी कोठरी में 220 दिनों से कैद है. उम्र है चार साल और नाम पुष्पा. हां…नाम सुनके फ्लॉवर समझने की गलती मत कीजिए. बाघिन है, वह भी खूंखार. अब पुष्पा को अपनी बाकी की जिंदगी भी सलाखों के पीछे ही गुजारनी पड़ेगी. जंगल के सबसे बड़े शिकारियों में शामिल इस बाघिन ने न तो किसी इंसान को मारा है और न घायल किया है. उसका गुनाह सिर्फ इतना है कि वह आत्मरक्षा में अपने से ताकतवर बाघ से लड़ गई थी. इस लड़ाई में उसका दांत टूट गया था. एटा से लाकर इटावा लॉयन सफारी में रखी गई. अब इसके बाद पुष्पा रविवार को कानपुर जू लाई गई.
बेहद खूंखार स्वभाव की पुष्पा को दस दिन के लिए क्वारंटीन में रखा गया है. कीपर व डॉक्टर ही उसके पिंजड़े के पास जा सकेंगे. पहले इसे जंगल में छोड़ने की तैयारी थी लेकिन जब जांच हुई तो पुष्पा के ऊपरी दाएं कैनाइन टीथ टूटे होने का पता चला. बाघिन पुष्पा को उसके स्वभाव को देखते हुए अब जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा. वह आजीवन सलाखों के पीछे यानी जू में ही रहेगी. उसे जू में ही रखने का फैसला किया गया. इटावा लॉयन सफारी के निदेशक डॉ. एसएन मिश्रा का कहना है कि एक बाघिन को मार्च में एटा के नगला समल से रेस्क्यू कर इटावा लाया गया था. उसके बाद बड़ा बाड़ा न होने के कारण कानपुर जू भेजने का फैसला हुआ था. रविवार को उसे कानपुर जू में भेज दिया गया. कानपुर जू के पीआरओ विश्वजीत तोमर का कहना है कि अब जू में बाघों की संख्या 9 हो गई है.
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रिपोर्ट : आयुष तिवारी