Karwa Chauth 2022: करवा चौथ का पर्व गुरुवार यानी 13 अक्टूबर को पूरी दुनिया में मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला उपवास रखती हैं. इस बीच तकरीबन 24 घंटे के लिए महिलाएं जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करतीं. करवा चौथ की शाम चांद को छलनी में निहारने और पूजा करने के बाद व्रत का पारण करने का रिवाज है. ऐसे में जिन महिलाओं ने यह व्रत पहली बार रखा है, उनके लिए कुछ सवालों का जवाब जानना बहुत जरूरी है. यहां ज्योतिषाचार्य रिषी द्विवेदी करवा चौथ का व्रत, पूजन पद्धति और अन्य सवालों का जवाब दे रहे हैं…
काशी के रहने ज्योतिषाचार्य रिषी द्विवेदी ने बताया कि वह सुहागिनें जो करवा चौथ का व्रत कर रही हैं यह भली तरह से जान लें कि इस दौरान कौन-कौन से जरूरी नियमों का पालन करना आवश्यक है. करवा चौथ मुख्य रूप से राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश राज्यों में मनाया जाता है. साथ ही, विदेशों में जा बसे भारतीय वहां भी इस पर्व को धूमधाम से मनाते हैं. इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. वे शाम को चंद्रोदय के बाद चंद्रमा से प्रार्थना करके, अर्घ्य देकर और अपने पति के चेहरे को देखकर उपवास खोलती हैं. वे इस दिन भगवान शिव, देवी पार्वती और भगवान गणेश की भी पूजा करती हैं. करवा चौथ इस साल 13 अक्टूबर यानी गुरुवार को है.
करवा चौथ के दौरान सूर्योदय से चंद्रोदय तक महिलाएं सख्त उपवास रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र, समृद्धि और सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हैं. व्रत के दौरान, वे पूरे दिन पानी नहीं पीती हैं साथ ही कुछ भी नहीं खाती हैं. कुछ पुरुष और अविवाहित महिलाएं भी अपने यह व्रत रखती हैं. इस व्रत को करने के पीछे एक खूबसूरत कहानी है. कहा जाता है कि वीरवती नाम की खूबसूरत रानी थी. जो सात भाइयों की इकलौती बहन थी. उन्होंने अपना पहला करवा चौथ एक विवाहित महिला के रूप में अपने माता-पिता के घर पर बिताया. उसने सूर्योदय के बाद उपवास करना शुरू किया लेकिन शाम ढलने तक वह भूख-प्यास से व्याकुल हो गई. अपनी बहन को भूखा देख भाइयों को बहुत दुख हुआ. उन्होंने उससे व्रत समाप्त करने की प्रार्थना की मगर वह तैयार नहीं हुई. भाइयों ने बहन का व्रत समाप्त करने के लिए पीपल के पेड़ में गोल शीशा लगाकर चांद के नाम पर छल करवा दिया. वीरवती अपने भाइयों की बातों में आ गईं और उन्होंने अपना उपवास तोड़ दिया. जैसे ही वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है उसे छींक आ जाती है. दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और तीसरा टुकड़ा मुंह में डालती है तभी उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है.
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वह बेहद दुखी हो जाती है. उसकी भाभी सच्चाई बताती हैं कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ. इसके बाद वीरवती ने संकल्प किया कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं करेगी और अपने सतीत्व से उन्हें दोबारा जीवन दिलाएगी. वह अपने पति के शव को लेकर एक वर्ष तक बैठी रही. उसके ऊपर उगने वाली घास को इकट्ठा करती रही. उसने पूरे साल की चतुर्थी को व्रत किया और अगले साल कार्तिक कृष्ण चतुर्थी फिर से आने पर उसने पूरे विधि-विधान से करवा चौथ व्रत किया. जिसके फलस्वरूप करवा माता और गणेश जी के आशीर्वाद से उसका पति पुनः जीवित हो गया.
करवा चौथ व्रत तोड़ने से पहले, विवाहित महिलाएं करवा चौथ कथा सुनने और शाम को पूजा करने के लिए एकत्र होती हैं. वे माता पार्वती से अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं. करवा चौथ पूजा शुरू करने और शुभ अनुष्ठान शुरू करने से पहले विवाहित महिलाएं नई दुल्हन की तरह तैयार हो जाती हैं. वे नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं जो सुखी वैवाहिक जीवन का प्रतीक है. करवा चौथ सरगी इस त्योहार के सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक है. यह एक विशेष थाली होती है जिसमें विवाहित महिलाओं को उनकी सास द्वारा दिए गए विभिन्न खाद्य पदार्थ और उपहार होते हैं. करवा चौथ के दौरान महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और सूर्योदय से पहले सरगी खाती हैं. करवा चौथ पर शाम को चांद देखने के बाद महिलाएं अपना निर्जला व्रत तोड़ती हैं. वे एक छलनी के माध्यम से चंद्रमा को देखती हैं. प्रार्थना करती हैं और अर्घ्य देती हैं. इसके बाद अपने पति के हाथों से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं.
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प्रयागराज- 7 बजकर 57 मिनट
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लखनऊ – 7 बजकर 59 मिनट
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नोएडा- 8 बजकर 08 मिनट
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कानपुर- 8 बजकर 02 मिनट
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गुरुग्राम- 8 बजकर 21 मिनट
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दिल्ली- 8 बजकर 09 मिनट
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मुंबई- 8 बजकर 48 मिनट
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भोपाल -8 बजकर 21 मिनट
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इंदौर- 8 बजकर 27 मिनट
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लुधियाना-8 बजकर 10 मिनट
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चंडीगढ़- 8 बजकर 06 मिनट
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जयपुर- 8 बजकर 18 मिनट
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देहरादून- 8 बजकर 02 मिनट
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अहमदाबाद- 8 बजकर 41 मिनट
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पटना -7 बजकर 44 मिनट
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रांची- 8 बजकर 14 मिनट
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कोलकाता-7 बजकर 37 मिनट