खुल गये काशी विश्वनाथ मंदिर के पट, भक्तों ने चढ़ाया भोलेनाथ को जल, लेकिन इसके लिए करना होगा इंतजार

काशी विश्वनाथ मंदिर में अब भक्त अपने अराध्य भगवान भोलेनाथ को एक बार फिर से जल चढ़ा सकते हैं. आज से मंदिर का पट का पट भक्तों के लिए खुल गया है. मंदिर का पट खुलने का साथ ही महादेव की पूजा के लिए भक्तों की भीड़ जुट गई. बता दें, बीते 15 अप्रैल को कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण मंदिर परिसर को भक्तों के लिए बंद कर दिया गया था.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 8, 2021 10:54 AM
  • भक्तों के लिए खुला काशी विश्वनाथ मंदिर

  • कोरोना गाइडलाइन का सख्ती से करना होगा

  • पांच भक्तों को एक साथ प्रवेश की अनुमति

काशी विश्वनाथ मंदिर में अब भक्त अपने अराध्य भगवान भोलेनाथ को एक बार फिर से जल चढ़ा सकते हैं. आज से मंदिर का पट भक्तों के लिए खुल गया है. मंदिर का पट खुलने का साथ ही महादेव की पूजा के लिए भक्तों की भीड़ जुट गई. बता दें, बीते 15 अप्रैल को कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण मंदिर परिसर को भक्तों के लिए बंद कर दिया गया था.

कोरोना गाइडलाइन का करना होगा पालनः यूपी में कोरोना केस में कमी आने के बाद से तीन जिलों को छोड़कर पूरे प्रदेश में अनलॉक (Unlock) हो गया है. इसी कड़ी में बाबा का दरबार भी भक्तों के लिए खोल दिया गया है. मंदिर में कोरोना को देखते हुए पूजा करने के लिए खास व्यवस्था की गई है. मंदिर में जाने से पहले भक्तों की थर्मल स्कैनिग की जाएगी. उन्हें सैनिटाइज कराया जाएगा. सोशल डिस्टेंसिग का पालन किया जाएगा. मंदिर में एक बार में सिर्फ पांच भक्तों को जाने दिया जाएगा.

गर्भगृह में जाने की नहीं होगी अनुमतिः कोरोना को देखते हुए जल चढ़ाने का अनुमति तो भक्तों को रहेगी लेकिन मंदिर के गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं होगी. इसके अलावा महादेव के विग्रह पर चंदन टीका लगाने और फूल माला पहनाने पर भी पाबंदी लगाई गई है. कोरोना को देखते हुए प्रशासन की ओर से गाइडलाईन का सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं.

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भक्तो में खुशीः कोरोना काल में बंद होने का बाद फिर से काली विश्वनाथ मंदिर के पट खुलने के बाद काफी संख्या में भक्त महादेव के दर्शन करने मंदिर पहुंचे. सभी को कोरोना प्रोटोकॉल के तहत पूजा की अनुमति दी गई. वहीं मंदिर के पट खुलने से भक्तों के चेहरे पर भी खुशी है. बता दें 15 अप्रैल से मंदिर में भक्तों के प्रवेश को रोक दिया गया था.

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Posted by: Pritish Sahay

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