KGMU Foundation Day: मानव शरीर में धड़केगा कृत्रिम दिल, जल्द ही पशुओं पर शुरू होगा परीक्षण

लोगों में दिल संबंधी समस्याओं को देखते हुए दिल प्रत्यारोपण की जरूरत बढ़ रही है. एक इंजीनियर के तौर पर वह दिल को एक पंप करने वाली मशीन के रूप में देखते हैं. इसीलिए 10 वैज्ञानिकों की टीम को इस काम में लगाया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2022 8:10 AM

Lucknow: मानव शरीर के अंदर कृत्रिम दिल धड़केगा. आईआईटी कानपुर के साथ मिलकर किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और देश के अन्य हृदय रोग विशेषज्ञों की साझा टीम इस पर काम कर रही है. फरवरी-मार्च से जानवरों पर इसका ट्रायल शुरू होगा. इस चरण की सफलता के बाद अगले दो साल में इस कृत्रिम दिल को मानव शरीर में प्रत्यारोपण करने की योजना तैयार की गई है. आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (KGMU) के 118वें स्थापना दिवस समारोह में यह जानकारी दी.

प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि लोगों में दिल संबंधी समस्याओं को देखते हुए दिल प्रत्यारोपण की जरूरत बढ़ रही है. एक इंजीनियर के तौर पर वह दिल को एक पंप करने वाली मशीन के रूप में देखते हैं. इसीलिए 10 वैज्ञानिकों की टीम को इस काम में लगाया गया है. इस टीम में मैटेरियल साइंस और अन्य विधा के वैज्ञानिक हैं. ये वैज्ञानिक देश भर के कॉर्डियोलॉजिस्ट के साथ मिलकर कृत्रिम दिल तैयार करने पर काम कर रहे हैं. इसमें केजीएमयू के कार्डियोलॉजिस्ट प्रो. ऋषि सेठी भी शामिल हैं.

प्रो. अभय ने कहा कि देश में प्रति हजार की आबादी पर सिर्फ 0.8 प्रतिशत डॉक्टर हैं. इतने बड़े देश में इसे 8 या 10 प्रतिशत तक ले जाने में काफी समय लगेगा. वहीं तकनीक की सहायता से क्षमता में वृदि्ध करके ज्यादा से ज्यादा लोगों को बेहतर इलाज दिया जा सकता है.

कोविड के पहले तक देश में वेंटिलेटर सिर्फ आयात किए जाते थे. कोविड के दौरान दो कंपनियों ने इसका निर्माण शुरू किया. आज ये दोनों कंपनियां वेंटिलेटर निर्यात करने की स्थिति में हैं. इनकी कीमत भी 10 से 12 लाख के बजाय 2.5 लाख रुपए हो गई है. वर्तमान में भारत में 80 फीसदी मेडिकल इंप्लांट और उपकरण आयात किए जाते हैं. यह खर्च 10 बिलियन डॉलर का है. डॉक्टर और इंजीनियर मिलकर इसका निर्माण देश में कर सकते हैं. इससे हर मरीज को सस्ता इलाज मिल सकेगा.

कुलपति ले. जनरल डॉ. बिपिन एक वर्ष में चिकित्सा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि एमबीबीएस छात्रों के पहले बैच ने अक्टूबर 1911 में 31 छात्रों के साथ किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज में प्रवेश किया. तब से यहां 30,000 से अधिक छात्रों को चिकित्सक बनाया है. वो सभी इस कॉलेज के गौरव हैं. सभी भारत और दुनिया भर में चिकित्सा पेशे से केजीएमयू का नाम रोशन कर रहे हैं. केजीएमयू में 4000 बेड पर मरीजों का इलाज किया जा रहा है.

स्थापना दिवस समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में मानसिक रोग विभाग के पूर्व हेड प्रो. प्रभात सिठोले भी मौजूद थे. कुलपति ले. जनरल डॉ. बिपिन, प्रो. अभय व डॉ. सिठोले ने मेधावी छात्र-छात्राओं को मेडल दिए, साथ ही शिक्षकों को उनकी उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया. प्रति कुलपति प्रो. विनीत शर्मा, प्रो एके टिक्कू डीन डेंटल, प्रो. एके त्रिपाठी डीन एकेडेमिक, प्रो पुनीता मानिक डीन नर्सिंग उपस्थित थी. प्रो. एके त्रिपाठीडीन एकेडेमिक ने समापन से पूर्व धन्यवाद प्रस्ताव ज्ञापित किया. इसके बाद राष्ट्रगान के साथ समारोह का समापन हुआ. कार्यक्रम का संचालन प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रो. अमिता पांडेय और डॉ. सौमेंद्र विक्रम सिंह ने किया.

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