UP: हार्ट अटैक के खतरे की बजेगी साल भर पहले घंटी, KGMU के प्रोफेसर की ब्लड मार्कर जांच ऐसे बचायेगी जान
केजीएमयू में पैथालाजी विभाग के प्रोफेसर वाहिद अली का शोध लोगों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है. प्रो. वाहिद ने शोध कर एक मार्कर जांच की खोज की है, जिसके जरिए लोगों को साल भर पहले ही पता चल सकता है कि उनमें हार्ट अटैक की आशंका है या नहीं.
Lucknow News: हार्ट अटैक (Heart Attack) आज के समय की सबसे आम मौत (Death) का कारण बन चुका है. जीवनशैली में हो रहे बदलाव, खानपान में लापरवाही, ध्रूमपान, नशा और तनाव जैसे कई कारण इसकी वजह बनते हैं. इसके लिए जीवनशैली (Lifestyle) में सुधार की सलाह दी जाती है. लेकिन, पिछले कुछ समय में चर्चित हस्तियों से जुड़े कई ऐसे मामले भी सामने आये हैं, जिसमें अपनी सेहत (Health) को लेकर सजग रहने, नियमित वर्कआउट करने और संयमित जीवनशैली वाले लोगों की भी अचानक हार्ट अटैक के कारण मौत हो गई. ऐसे में लोगों के दिल में हमेशा इस बीमारी का डर बना रहता है.
केजीएमयू में ब्लड मार्कर जांच की खोज
इन सबके बीच राजधानी के केजीएमयू में पैथालाजी विभाग के प्रोफेसर वाहिद अली का शोध लोगों के लिए बेहद मददगार साबित हो सकता है. प्रो. वाहिद ने शोध कर एक मार्कर जांच की खोज की है, जिसके जरिए लोगों को साल भर पहले ही पता चल सकता है कि उनमें हार्ट अटैक की आशंका है या नहीं. इस मार्कर से हृदय रोगों के खतरे को समय पर पहचाना जा सकता है, जिससे लोग वक्त रहते सचेत हो सकते हैं. प्रो. वाहिद का यह शोध अंतरराष्ट्रीय जर्नल ऑफ क्लीनिकल मेडिसिन में भी प्रकाशित हो चुका है. केजीएमयू के रिसर्च शोकेस में प्रीक्लिनिकल शोध में भी इसे बेस्ट पेपर का अवार्ड मिला है.
साल भर पहले पता चल जाएगी दिल की स्थिति
प्रो. वाहिद बताते हैं कि अब तक लिपिड प्रोफाइल, एलडीएल और टोटल कोलेस्ट्राल की जांच से हृदय संबंधी बीमारी का अनुमान लगाया जाता है. इसके अलावा हार्ट अटैक का पता लगाने के लिए पहले से मौजूद ईसीजी, ट्राप-टी और अन्य मार्कर जांचें हार्ट अटैक पड़ने के बाद की स्थिति बताती हैं. वहीं उनके इस मार्कर से दिल का दौरा पड़ने से साल भर पहले ही हृदय की स्थिति की जानकारी हो सकेगी.
एक वर्ष तक 160 मरीजों पर हुआ शोध
इसके लिए प्रो. वाहिद ने एक वर्ष तक 160 मरीजों पर शोध किया. उन्होंने शोध में सर्कुलेटिंग सॉल्युबल लेक्टिन लाइक ऑक्सिडाइज लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन रिसेप्टर- वन यानी एस लाक्स- वन मार्कर जांच खोजा है. इसमें दिल की बीमारी की गंभीरता और हार्टअटैक के अनुमान का पता चल सकता है.
इस तरह की गई रिसर्च
शोध में शामिल लोगों को चार समूह में बांटा. इनमें हृदय रोग के गंभीर मरीज, हृदय से जुड़ी परेशानी से जुड़े स्थिर मरीज, वे जिन्हें बीमारी हुई और वह ठीक हो गए और स्वस्थ मरीजों शामिल थे. शोध में 18 वर्ष की आयु से शुरू होकर 81 वर्ष तक की आयु के व्यक्ति शामिल हुए, जिनसे शोध से पहले सहमति भी ली गई थी.
रिसर्च का ये निकला नतीजा
प्रो. वाहिद के अनुसार शोध के निष्कर्षों में स्वस्थ लोगों के मुकाबले दिल की बीमारी झेल रहे मरीजों में मार्कर की मात्रा अधिक थी. सामान्य में यदि यह मात्रा चार हो तो बीमारी के दौरान यह आठ से 12 तक पहुंच रही थी. यह मार्कर गंभीर बीमारियों को पहले से ही पता लगा सकता है और बीमारियों के लिए अधिक संवेदनशील और स्पेसिफिक बायोमार्कर की भूमिका निभा सकता है.
प्रो. वाहिद के मुताबिक इस शोध को अब केजीएमयू के अलावा कुछ अन्य बड़े चिकित्सा संस्थानों के मरीजों पर भी किया जाएगा, जिससे परिणाम अधिक स्पष्ट रूप से देखें जा सकें. इन नतीजों के आधार पर इसे मरीजों के लिए मुहैया कराने का काम किया जाएगा.