Khatauli By-Election: मदन भैया को टिकट देने के पीछे RLD की ये रणनीति, जेल में रहते पहली बार बने थे MLA
मदन भैया ने 1989 में जेल में रहते हुए खेकड़ा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकी थी. लेकिन वह हार गये. 1991 में उन्हें यहां से जीत मिली और वह विधानसभा पहुंचे. साल 2012 में परिसीमन के कारण खेकड़ा सीट का वजूद खत्म हो गया
Lucknow News: राष्ट्रीय लोक दल ने मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव में पूर्व विधायक मदन भैया को उम्मीदवार बनाकर पश्चिम यूपी में गुर्जरों को साधने की कोशिश की है. पार्टी को उम्मीद है कि क्षेत्रीय समीकरणों के लिहाज से उसका यह दांव उपचुनाव में जीत दिलाने में मददगार साबित होगा.
मदन भैया ने कहा है कि नेतृत्व ने जो भरोसा जताया है, उस पर खरा उतरने का प्रयास किया जाएगा. जनता को निराश नहीं करूंगा. पूरी तैयारी के साथ गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा जाएगा. उपचुनाव में उम्मीदवार बनाये जाने के बाद मदन भैया ने भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत से मुलाकात की. मुजफ्फरनगर से रालोद जिलाध्यक्ष संदीप मलिक ने कहा कि सपा-रालोद गठबंधन अब पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेगा. खतौली उप चुनाव में भाजपा को हराने का काम किया जाएगा.
दबंग छवि के मदन भैया ने इससे पहले 2022 में गाजियाबाद की लोनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. लेकिन, उन्हें हार नसीब हुई थी. उनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं. बागपत के पूर्व विधायक चंदर सिंह पर हमले का भी उन पर आरोप लगा था. इस मामले में उन पर आरोप भी तय हो चुके हैं.
मदन भैया ने 1989 में जेल में रहते हुए खेकड़ा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोकी थी. लेकिन वह हार गये. 1991 में उन्हें यहां से जीत मिली और वह विधानसभा पहुंचे. साल 2012 में परिसीमन के कारण खेकड़ा सीट का वजूद खत्म हो गया और साहिबाबाद विधानसभा क्षेत्र और लोनी विधानसभा क्षेत्र के दो नए निर्वाचन क्षेत्र बन गए.
खेकड़ा विधानसभा क्षेत्र का भाग बागपत और मोदीनगर विधानसभा क्षेत्र के साथ मिला दिया गया. वर्ष 2012 में मदन भैया ने गाजियाबाद विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा. लेकिन, वह बसपा प्रत्याशी से हार गए. 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा उम्मीदवार नंदकिशोर गुर्जर से शिकस्त मिली.
खतौली में गुर्जर उम्मीदवार के तौर पर 2012 में करतार भड़ाना विधायक चुने गए थे. इसके बाद पश्चिमी यूपी में तनाव के कारण समीकरण बदल गए. भाजपा के निवर्तमान विधायक विक्रम सैनी ने यहां दोनों बार जिले की सबसे बड़ी जीत दर्ज की. रालोद ने इस सीट पर फिर गुर्जर उम्मीदवार उतारा है. इसकी बगल वाली सीट मीरापुर पर भी गठबंधन से गुर्जर चंदन चौहान विधायक हैं. ऐसे में रालोद को यकीन है कि उपचुनाव में गुर्जरों को साधते हुए उसका ये दांव कारगर साबित हो सकता है.
इस बार खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव को लेकर बसपा और कांग्रेस अपने उम्मीदवार नहीं उतार रहे हैं. मदन भैया के सपा-रालोद गठबंधन उम्मीदवार होने से अब उनका सीधा मुकाबला भाजपा से होगा. भाजपा विधायक विक्रम सैनी की सदस्यता रद्द होने के कारण इस सीट पर उपचुनाव घोषित किया गया है.
खतौली विधानसभा सीट पर 5 दिसंबर को मतदान डाले जाएंगे. 8 दिसंबर को मतगणना होगी. यहां 17 नवंबर तक प्रत्याशी अपना नामांकन कर सकेंगे. 18 नवंबर को नामांकन पत्रों की जांच होगी. जबकि 21 नवंबर तक प्रत्याशी अपना नामांकन वापस ले सकते हैं.