Lucknow: समाजवादी पार्टी के रणनीतिकारों को एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है. एमएलसी उपचुनाव में सपा की कीर्ति कोल का पर्चा मंगलवार को खारिज हो गया. इसके बाद सपा के रणनीतिकारों पर हमला शुरू हो गया है. ट्विटर पर भी उनकी जमकर खिंचायी हो रही है.
समाजवादी पार्टी ने कीर्ति कोल को अचानक विधान परिषद से मैदान में उतारकर सबको चकित कर दिया था. कीर्ति कोल आदिवासी हैं. सपा का यह कदम बीजेपी को धर्मसंकट में फंसाने के रूप में देखा जा रहा था. लेकिन सपा यह रणनीति 24 घंटे में ही फेल हो गयी. बिना होम वर्क किये सपा के रणनीतिकारों ने कीर्ति कोल को उम्मीदवार बना दिया. उम्र कम होने से कीर्ति का पर्चा मंगलवार को खारिज हो गया.
समाजवादी पार्टी ने कीर्ति कोल की नामांकन की कई फोटो जारी की हैं. इसमें एक में स्वयं अखिलेश यादव पार्टी कार्यालय में उनके साथ दिख रहे हैं. नामांकन दाखिल कराने वालों में उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल, विधायक मनोज पांडेय, विधायक रविदास मेहरोत्रा सहित कई बड़े नेता शामिल थे. सपा की पूरी टीम उनके साथ लगी थी. लेकिन कोई भी नामांकन पत्र के नियम-कानून को पूरी तरह से समझ नहीं पाया.
एमएलसी चुनाव के लिए सपा की उम्मीदवार कीर्ति कोल वरिष्ठ समाजवादी नेता व पूर्व सांसद भाई लाल कोल की बेटी हैं. पिता के निधन के बाद कीर्ति ही उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल रही हैं. कीर्ति लालगंज ब्लॉक के पचोखर गांव की रहने वाली हैं और जिला पंचायत सदस्य भी हैं. 2022 विधानसभा चुनाव में मिर्जापुर की छानवे विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी ने कीर्ति कोल को उम्मीदवार बनाया था. अपना दल एस के प्रत्याशी ने उन्हें इस चुनाव में हराया था.
विधान परिषद के चुनाव में विधायकों के संख्या बल के अनुसार बीजेपी के दोनों प्रत्याशियों की जीत तय मानी जा रही है. लेकिन कीर्ति कोल के चुनाव में उतरने से डॉ. धर्मेंद्र की सीट के लिए मतदान की नौबत आ गयी थी. इसमें भी बीजेपी की जीत तय थी. क्योंकि विधानसभा में बीजेपी गठबंधन के 273 सदस्य हैं. जबकि सपा के 111 सदस्य हैं. इनमें से एक शिवपाल यादव बागी हो चुके हैं. विधायकों के संख्या बल अनुसार भी सपा की कीर्ति कोल की हार निश्चित थी.