Lakhimpur Kheri Assembly Chunav: कभी था कांग्रेस का गढ़, अभी है भाजपा का ‘घर’, अब 2022 पर है सबकी नजर

Lakhimpur Kheri Assembly Chunav: आजादी के बाद से लखीमपुर खीरी जिले में कांग्रेस का ही प्रभुतव रहा है. यह जिला भारत-नेपाल बॉर्डर और पीलीभित, शाहजहांपुर, हरदोई, सीतापुर एवं बहराइच जिलों की सीमा से घिरा हुआ है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 30, 2022 6:33 PM

Lakhimpur Kheri Assembly Chunav: आजादी के बाद से लखीमपुर खीरी जिले में कांग्रेस का ही प्रभुतव रहा है. यह जिला भारत-नेपाल बॉर्डर और पीलीभित, शाहजहांपुर, हरदोई, सीतापुर एवं बहराइच जिलों की सीमा से घिरा हुआ है. पहले इस जगह को लक्ष्मीपुर जिले के नाम से जाना जाता था. इस जनपद में साल 1977 में पहली बार नरेश चंद वर्मा जनता पार्टी से विधायक बने थे. इसके बाद वे फिर तीन बार कांग्रेस के विधायक रहे. फिर कांग्रेस यहां वापस नहीं आ सकी. लंबे समय तक सपा का कब्जा रहने के बाद इस बार भाजपा से योगेश वर्मा चुनाव जीते हैं. यहां के प्रमुख पर्यटनस्थलों में गोला, देवकाली, लिलौटीनाथ और फ्रांग मंदिर आदि विशेष रूप से प्रसिद्ध है. क्षेत्रफल की दृष्टि से यह जनपद उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े जिलों में से हैं.

लखीमपुर खीरी विधानसभा सीट का सियासी इतिहास

  • 1996- कौशल किशोर- सपा

  • 2002- कौशल किशोर- सपा

  • 2007- कौशल किशोर- सपा

  • 2010- उत्कर्ष वर्मा- सपा (उपचुनाव)

  • 2012- उत्कर्ष वर्मा- सपा

  • 2019- योगेश वर्मा- सपा

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लखीमपुर खीरी विधानसभा में मतदाता

  • कुल मतदाता : 393456

  • पुरुष मतदाता : 2,09,682

  • महिला मतदाता : 1,83,727

जातिगत समीकरण (अनुमानित)

इस सीट पर दलित मतदाता 1.16 लाख, पिछड़ा वर्ग 1.40 लाख और मुस्लिम 70 हजार हैं. साथ ही, अन्य की संख्या 28 हजार है. स्पष्ट है कि यहां निर्णायक भूमिका में दलित और पिछड़ा वर्ग के लोग हैं.

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लखीमपुर खीरी विधानसभा के मुद्दे

इस क्षेत्र की सड़कों का हाल बुरा हाल बुरा है. विकास कार्य यहां काफी कम बताया जाता है.

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