Rampur By-Election: आकाश इस बार रामपुर में खिला पाएंगे कमल? आजम से है पुराना विवाद
आजम और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज 43 मुकदमों में आकाश सीधे पक्षकार हैं. उनकी आजम परिवार से लड़ाई 2018 में अब्दुल्ला के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले से शुरू हुई थी, जो आजम की विधान सभा सदस्यता जाने तक जारी है.
Lucknow News: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खां के गढ़ में भाजपा से आकाश सक्सेना उपचुनाव में ताल ठोकेंगे. आकाश के नाम की घोषणा आज की गई. आकाश इस वर्ष विधानसभा चुनाव में भी रामपुर से भाजपा प्रत्याशी थे. हालांकि उन्हें आजम खां से शिकस्त का सामना करना पड़ा था. आजम तब सीतापुर जेल में बंद थे और उन्होंने रिकार्ड मतों से जीत दर्ज की थी. इस बार आकाश को यकीन है कि रामपुर में भाजपा कमल खिलाने में कामयाब होगी.
रामपुर से उम्मीदवार बनाए गए आकाश सक्सेना की आजम खां की विधायकी रद्द कराने में अहम भूमिका रही है. आकाश पेशे से व्यवसायी हैं और पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं. उन्होंने ही आजम खां के खिलाफ केस दर्ज करवाया था, जिसका फैसला आने के बाद आजम की सदस्यता को समाप्त कर दिया गया. इससे पहले अब्दुल्ला आजम की फर्जी डिग्री केस में विधानसभा सदस्यता को समाप्त करवाने में भी आकाश अहम भूमिका निभा चुके हैं.
आकाश सक्सेना कई मामलों में आजम खां के खिलाफ वादी भी हैं. जौहर विश्वविद्यालय की जमीन को लेकर उन्होंने कई खुलासे किये, जिससे आजम की मुश्किलें बढ़ी. आकाश छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे और उसके बाद कारोबार में सक्रिय हुए. भाजपा ने उन्हें पश्चिमी यूपी के लघु उद्योग प्रकोष्ठ का संयोजक भी बनाया था.
आजम और उनके परिवार के खिलाफ दर्ज 43 मुकदमों में आकाश सीधे पक्षकार हैं. उनकी आजम परिवार से लड़ाई 2018 में अब्दुल्ला के फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट मामले से शुरू हुई थी, जो आजम की विधान सभा सदस्यता जाने तक जारी है..
इस वर्ष रामपुर से विधानसभा चुनाव में आकाश को 55 हजार वोटों से शिकस्त मिली थी. आजम खां को रामपुर में 1,30649 वोट मिले थे, जबकि आकाश सक्सेना को 75, 411 वोट ही हासिल हुए थे.
वहीं सपा की बात करें तो कयास लगाये जा रहे हैं कि आजम खान का परिवार यह उपचुनाव नहीं लड़ेगा. लेकिन, पार्टी के कुछ लोगों ने उनसे उनकी पत्नी पूर्व सांसद डॉ. तजीन फात्मा को चुनाव लड़ाने की अपील की है. वर्ष 2019 में जब आजम खां सांसद बने थे तब हुए विधानसभा उपचुनाव में तजीन फात्मा ही चुनाव लड़ीं थींं और जीत दर्ज की थी.