Lucknow: भाकपा (माले) और एपवा के संयुक्त जांच दल ने लखीमपुर खीरी में दलित बहनों की रेप के बाद हत्या के मामले में पुलिस की विवेचना पर सवाल खड़े किए हैं. जांच चल दल का कहना है कि दलित बहनों के रेप-हत्या के लखीमपुर खीरी मामले में बारीकी से जांच करने के बजाय जल्दबाजी दिखाई गई है. पुलिस की कहानी घटना की प्रत्यक्षदर्शी मृतक बहनों की मां के बयान के विपरीत हैं. इससे पुलिस की विवेचना पर सवाल खड़े होते हैं. इसलिये पूरे मामले की स्वतंत्र उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए.
भाकपा (माले) और एपवा के संयुक्त जांच दल ने लखीमपुर खीरी में निघासन कोतवाली क्षेत्र के घटनास्थल का दौरा किया था. दल ने पीड़ित परिवार से मुलाकात की, संवेदना जताई और घटना से जुड़े तथ्य जुटाए. इस गांव की किशोर उम्र की दो सगी दलित बहनों (17 व 15 वर्ष) की लाश बीते बुधवार (14 सितंबर) को गन्ने के खेत में पेड़ से लटकती मिली थी.
दस सदस्यीय जांच दल का नेतृत्व माले की केंद्रीय समिति सदस्य व एपवा प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार मां माया देवी का बयान है कि मेरी लड़कियों को लड़के जबरस्ती मोटरसाइकिल पर उठा ले गए. लड़कियों के भाई ने पुलिस की कहानी पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर उसकी बहनें अपनी मर्जी से गईं थीं, तो अभियुक्तगण उनकी हत्या क्यों करते? हत्या के मामले को पुलिस ने पहले आत्महत्या का मामला क्यों बताया?
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जांच दल को परिवारीजनों ने बताया कि जब गांव के लोगों ने मेरी बेटियों की तलाश शुरू की, तो इसी बीच वह थाने सूचना देने पहुंचीं. वहां उन्हें थप्पड़ मारा गया और चुप करा दिया गया. रिपोर्ट में लड़कियों के रेप-हत्या के दोषियों को जहां सख्त सजा देने की मांग की गई है, वहीं फरियादी के साथ थाने में इस तरह के व्यवहार पर सवाल उठाते हुए पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की गई है.
जांच रिपोर्ट में छह आरोपियों को दो दिनों में गिरफ्तार कर सरकार भले ही अपनी पीठ थपथपा रही हो, लेकिन पुलिस की थ्योरी लड़कियों की मां के बयान से विपरीत है. ऐसे पुलिस की विवेचना पर गहरा संदेह हो रहा है. जांच दल में कृष्णा अधिकारी के अलावा एपवा राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य सरोजिनी बिष्ट, तपेश्वरी, सावित्री, माले नेता रामजीवन, मैनेजर, राम प्रसाद, गुलाब, राकेश व रामकेवल शामिल थे.