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लखीमपुर हिंसा: आशीष मिश्रा की जमानत फिर अटकी, SC में सुनवाई 20 जनवरी तक टली, ट्रायल में लगेंगे पांच साल…

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने आज सुनवाई के दौरान बताया कि सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए जा चुके हैं. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एडिशनल सेशन जज से पूछा था कि लखीमपुर मामले के ट्रायल में कितना टाइम लगेगा.

Lucknow: लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा को झटका लगा है. जेल की सलाखों से बाहर निकलने की कोशिशों में जुटा आशीष फिलहाल बाहर नहीं निकल पाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई 20 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दी है. आशीष मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत रद्द करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. उसे सर्वोच्च न्यायालय से उमीद थी. लेकिन फिलहाल सुनवाई टल गई है.

पीड़ितों की ओर से प्रशांत भूषण ने की सुनवाई टालने की अपील

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को कहा कि वो बताएं कि क्या दूसरी एफआईआर में आरोपी अभी भी जेल में है? जस्टिस सूर्यकांत ने प्रशांत भूषण की डे-टू-डे हियरिंग पर कहा कि हमारे मन में कुछ है, बड़ा मुद्दा शामिल है. कोई भी समयरेखा निर्धारण अभियोजन पक्ष के मामले को प्रभावित करेगा. पीड़ितों की ओर से प्रशांत भूषण ने सुनवाई कल के लिए, या अगले हफ्ते के लिए टालने की मांग की थी. उन्होंने कहा कि सीनियर वकील दुष्यंत दवे की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए सुनवाई टाल दी जाए.

ट्रायल में लगेंगे पांच साल

उत्तर प्रदेश सरकार ने आज सुनवाई के दौरान बताया कि सभी आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए जा चुके हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश लखीमपुर खीरी की रिपोर्ट को भी पढ़ा, जो कहती है कि इस मुकदमे को पूरा होने में पांच साल का समय लगेगा, क्योंकि मामले में 200 गवाह हैं, 27 सीएफएसएल रिपोर्ट हैं. दरअसल, शीर्ष अदालत ने पिछली सुनवाई में निचली अदालत से जानकारी मांगी थी कि बिना दूसरे मुकदमों पर असर डाले इस केस का निपटारा कितने समय में हो सकेगा.

रोजाना ट्रायल की मांग

प्रशांत भूषण ने कहा कि कुछ गवाहों पर हमला हुआ है. कुछ को धमकी दी गई है. लगातार डे-टू-डे हियरिंग की जा सकती है. सभी गवाहों की गवाही हो सकती है वह केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे हैं, ऐसे में ट्रायल रोजाना होना चाहिए. गवाहों पर बेरहमी से हमला किया गया है. उन्होंने बयान देकर सबक सिखाने की बात कही थी. पीड़ित पक्ष के वकील प्रशांत भूषण ने यूपी सरकार पर आरोपी का पक्ष लेने का आरोप लगाया.

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आरोपी ने कार में नहीं होने की दी थी दलील

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने निचली अदालत से पूछा था कि लखीमपुर मामले में ट्रायल पूरा होने में कितना टाइम लगेगा. सुनवाई में आशीष मिश्रा की ओर से मुकुल रोहतगी ने कहा था कि आशीष मिश्रा की आरोप मुक्त करने की अर्जी निचली अदालत ने खारिज कर दी है. उन पर आरोप तय कर दिए गए हैं, वो घटना के समय कार में नहीं था, फिर भी एक साल से ज्यादा समय से जेल में है. पहले हाईकोर्ट ने जमानत दी थी. लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर फिर से मामले को हाईकोर्ट भेज दिया था.

14 अभियुक्तों पर आरोप किए गए हैं तय

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले इस मामले में निचली अदालत में आरोप तय हो जाने दिया जाए, उसके बाद जमानत याचिका पर सुनवाई होगी. 6 दिसंबर 2022 को लखीमपुर की एडीजे कोर्ट ने आशीष समेत सभी 14 अभियुक्तों पर आरोप तय कर दिए हैं.

ये है मामला

प्रदेश के लखीमपुर जिले के तिकुनिया थाना क्षेत्र में 3 अक्टूबर 2021 को हिंसा हुई थी. आरोप है कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के इशारे पर थार जीप से प्रदर्शनकारी किसानों को कुचल दिया गया था. घटना में 4 लोगों की मौत हो गई थी. हिंसा भड़कने के बाद इस पूरे घटनाक्रम में 8 लोगों की जान गई थी.

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