Lakhimpur Kheri Violence: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई घटना के बाद किसान यूनियन और सरकार के बीच सोमवार को समझौता हो गया. घटना में मारे गए चार किसानों के परिवारों को 45-45 लाख रुपये और सरकारी नौकरी देने का फैसला लिया गया. घायलों को 10-10 लाख रुपये देने और हाईकोर्ट के रिटायर जज से मामले की जांच कराने का ऐलान किया गया है. इस समझौते में भाकियू नेता राकेश टिकैत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी में 4 किसानों की मौत के बाद जिस तरह से घटना क्रम देखने को मिला, उससे योगी सरकार के हाथ-पांव फूल गए. आनन-फानन में एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार को किसानों को मनाने के लिए भेजा गया. इधर, राकेश टिकैत भी लखीमपुर के लिए रवाना हो गए. विपक्षी नेता भी घटना स्थल पर जाने के लिए तैयार थे. ऐसा लग रहा था कि किसानों का प्रदर्शन लंबा चलेगा, लेकिन राकेश टिकैत इस दौरान सरकार के लिए संकट मोचक साबित हुए. उनकी वजह से किसानों और सरकार के बीच समझौता हुआ.
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राज्य सरकार ने विपक्ष के किसी भी नेता को लखीमपुर खीरी नहीं पहुंचने दिया. फिर चाहे वह प्रियंका गांधी हों, सतीश चंद्र मिश्रा हों या अखिलेश यादव. चंद्रशेखर आजाद को भी सीतापुर टोल प्लाजा पर रोक लिया गया जबकि शिवपाल यादव, अखिलेश यादव, जयंत चौधरी को लखनऊ पहुंचने से पहले ही हिरासत में ले लिया गया. सिर्फ राकेश टिकैत ही ऐसे नेता थे, जो लखीमपुर खीरी पहुंचने में कामयाब रहे.
जिस समय लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत होने का मामला सामने आया, उस समय राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर थे. वहां से वे तुरंत लखीमपुर के लिए रवाना हो गए. राकेश टिकैत तिकुनिया के गुरुद्वारे पर पहुंचे. यहां चार किसानों के शव रखे थे. किसानों की जिद थी कि जब तक केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा टेनी पर मुकदमा दर्ज नहीं होता और उनके बेटे को गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक शव का पोस्टमार्टम नहीं करने देंगे. उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री के इस्तीफे की भी मांग की.
एक समय ऐसा रहा था कि प्रदेश सरकार के लिए किसानों को मनाना बेहद मुश्किल होगा, लेकिन राकेश टिकैत का घटना स्थल पर पहुंचना उसके लिए बड़ी राहत साबित हुआ. एडीजी प्रशांत कुमार, आईजी जोन लखनऊ लक्ष्मी और कमिश्नर लखनऊ रंजन कुमार किसानों के लगातार संपर्क में थे, लेकिन बात नहीं बनी. बात तभी बनी, जब राकेश टिकैत ने मोर्चा संभाला.
भाकियू नेता राकेश टिकैत ने किसानों की तरफ से सरकार से बातचीत की. उनसे किसानों को मनाने और शवों का पोस्टमार्टम कराने का आग्रह किया गया. कई घंटे तक बातचीत चली. अंत में समझौते पर दोनों पक्ष राजी हुए.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 5 अक्टूबर को लखनऊ आ रहे हैं. किसानों के प्रदर्शन से उनके इस दौरे पर असर पड़ सकता था. एडीजी प्रशांत कुमार और राकेश टिकैत के बीच हुई बातचीत ने इस समस्या से सरकार को निजात दिला दी. हालांकि इस मामले पर सियासत अभी भी जारी है.
Posted By: Achyut Kumar