Varanasi News: सुर-साम्राज्ञी लता मंगेशकर का 92 साल की उम्र में निधन हो गया है. भारत रत्न लता मंगेशकर ने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. मां शारदा की लाड़ली को श्रद्धांजलि अर्पित करने वालो का तांता लगा हुआ है. शास्त्रीय संगीत की थाप और गंगा की लहरों की मधुर ध्वनि से गूंजने वाली काशी से सुर साम्रगी लता मंगेशकर का अटूट रिश्ता रहा. एक नजर डालतें हैं लता मंगेशकर से जुड़ी उन यादों पर जिन्हें काशी की धरती आज भी महसूस करती है.
लता मंगेशकर के ज्योतिष सलाहकार स्वामी ओमा अक काशी के ही रहने वाले हैं. 1952 में जब लता मंगेशकर एक बार काशी आईं थीं, तो श्मशान घाट पर जलती चिताओं को देखकर उन्हें मुर्दा के उठकर भागने जैसा कुछ प्रतीत हुआ था. उसके बाद वे काशी कभी नहीं आईं, मगर काशी से हमेशा जुड़ी रहीं. फिर चाहे शास्त्रीय कंसर्ट की बात हो या चिराग-ए-लहर सम्मान समारोह की वे लाइव माध्यम से जुड़ जाया करती थीं.
लता मंगेशकर के निधन से 3 साल पहले उन्हें काशी के द्वारा समर्पित ‘सुर गाथा’ शार्ट फ़िल्म आज भी कई यदों को ताजा कर देती है. इस शार्ट फ़िल्म लता मंगेशकर को समर्पित की गई थी, जिसे बनरास के कैंटोमेंट में रहने वाले उनके ज्योतिषी सलाहकार स्वामी ओमा अक ने निर्मित किया था और इसमे आवाज दी थी प्रसिद्ध पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य ने. आज इस शार्ट फ़िल्म की याद ने लता मंगेशकर की अनन्तकाल यात्रा को फिर से श्रद्धासुमन अर्पित की है.
भारत रत्न लता मंगेश्कर के ज्योतिष सलाहकार स्वामी ओमा अक ने 3 साल पहले सुर साम्रगी को काशीवासियों की तरफ़ से एक गाना रचित कर उन्हें समर्पित किया था. जिसके बोल थे “आवाजों का एक जंगल है सारी दुनिया, सारी दुनिया में आवाजों का झुरमुट रहे, दरिया, बादल, हवा, नदी सब बोला करते, पंछी, पीपल, परिंदे, पेड़ सब बतियाते ,एक अगर तुम इस दुनिया में ना गातीं, एक तुम अगर ना खनकतीं, तो सच पूछों आवाजों का होना न होना बेईमानी है”
इस सुर गाथा को पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य ने अपनी मधुर आवाज में गाया था. लता मंगेश्कर को समर्पित इस शार्ट फ़िल्म की स्वामी ओमा अक ने स्क्रिप्टिंग की और राजेश्वर आचार्य ने मधुर आवाज दी थी, लेकिन फिल्माए गए प्रत्येक दृश्य को देखकर मानों यू प्रतीत होता है कि लता मंगेश्कर साक्षात इसे अपने सुरों से आत्मसात कर रही हैं, जैसे ही सुर गाथा शार्ट फ़िल्म में लता मंगेशकर की सुरीली आवाज सुनाई देती है सब कुछ उनकी छवि के स्वरूप में प्रतीत हो जाता है.
पद्मश्री डॉ राजेश्वर आचार्य ने कहा कि ममत्व, वात्सल्य, कंठ में सुर ध्वनि से भरपूर महाताल सुर साम्रगी लता जी का जाना अत्यंत पीड़ादायक है. लता मंगेशकर सिर्फ भारत रत्न ही नहीं बल्कि भू रत्न की श्रेणी में शामिल हैं, क्योंकि इस पूरे ब्रह्मांड में उनके जैसा स्वर किसी के पास नहीं है. एक संगीत के युग का अंत हो गया. इस दुःख के अवसर पर हम सभी काशीवासी सुर साम्रगी को उनके इस अनंत यात्रा के लिए प्रणाम करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं.
रिपोर्ट- विपिन सिंह