इंसानों के बीच फंसे तेंदुए को मिली आठ घंटे बाद आजादी
महराजगंज : जिम कॉर्बेट ने लिखा है कि रात के अंधेरे में इंसानी बस्तियों पर हमला करनेवाले तेंदुए की प्रकृति बाघ से एकदम उलट है. नरभक्षी तेंदुआ चाहे कितने ही लोगों को मार चुका हो, इंसान का खौफ उसमें बराबर बना रहता है. यही वजह है कि तेंदुआ दिन के उजाले में इंसान से मुठभेड़ करने से बचता है, अंधेरे में हमला करता है. मगर, यही तेंदुआ अगर इंसानों के बीच फंस जाये तो क्या?
महराजगंज : जिम कॉर्बेट ने लिखा है कि रात के अंधेरे में इंसानी बस्तियों पर हमला करनेवाले तेंदुए की प्रकृति बाघ से एकदम उलट है. नरभक्षी तेंदुआ चाहे कितने ही लोगों को मार चुका हो, इंसान का खौफ उसमें बराबर बना रहता है. यही वजह है कि तेंदुआ दिन के उजाले में इंसान से मुठभेड़ करने से बचता है, अंधेरे में हमला करता है. मगर, यही तेंदुआ अगर इंसानों के बीच फंस जाये तो क्या?
हुआ यह कि उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के निचलौल में कुछ लोगों ने शुक्रवार की सुबह गंडक नदी के पुल के नीचे बेंत की झाड़ियों में एक तेंदुआ देखा. उन लोगों ने वन विभाग के कर्मचारियों को खबर दी.
फॉरेस्ट के अधिकारी और कर्मी आये, तो मालूम हुआ कि तेंदुआ झाड़ियों के बीच बने फंदे में फंस हुआ है. तमाशबीनों की भीड़ और आक्रामक हो रहे तेंदुए को फंदे से निकालने में करीब आठ घंटे लग गये.
वन विभाग के कर्मचारियों ने तंदुए के स्वास्थ्य की जांच कराने के बाद उसे वापस जंगल में छोड़ दिया. आसपास के गांव वालों का कहना है कि जंगली जानवरों का शिकार करनेवाले जंगल के आसपास वाले इलाकों में जंजीरों के फंदे छिपा कर छोड़ देते हैं.
रात के अंधेरे में भोजन की तलाश में भटक कर आनेवाले जानवर शिकारियों के इन जंजीरों में फंस जाते हैं. शिकार करनेवाले के फंदे में जंगली तेंदुआ फंस जायेगा, इसकी उन्हें उम्मीद नहीं रही होगी.