Aligarh News: आपने किसी सोसाइटी, एनजीओ, संस्था, फर्म, कंपनी के रजिस्ट्रेशन के बारे में तो सुना होगा, परंतु पुलिस विभाग द्वारा किए जाने वाले एक रजिस्ट्रेशन के बारे में नहीं सुना होगा, जिसे गैंग का रजिस्ट्रेशन कहा जाता है. इसमें बकायदा रजिस्ट्रेशन के बाद उस गैंग को एक विशेष नाम दिया जाता है.
सोसाइटी के रजिस्ट्रेशन में जिस प्रकार से उस संस्था का एक नाम दिया जाता है, उसका एक अध्यक्ष और बाकी सब सदस्य होते हैं. पुलिस विभाग द्वारा विभिन्न अपराधों में संलिप्त अपराधियों को चिन्हित कर प्रत्येक गैंग का गैंगस्टर अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत कराने के साथ-साथ अलग से उस गैंग का रजिस्ट्रेशन कराया जाता है, उसको एक रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता है, उस गैंग को एक नाम भी दिया जाता है, उस गैंग का एक अध्यक्ष बतौर गैंग लीडर और बाकी सदस्य होते हैं. उस गैंग के नाम से उसे भविष्य में जाना जाता है. इसी की तर्ज पर एटा व्यापारी संदीप गुप्ता मर्डर में पकड़े गए आरोपियों को लेकर अलीगढ़ एसएसपी कलानिधि नैथानी ने शातिर एवं अभ्यस्त अपराधियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध एनएसए, हिस्ट्रीशीट, गैंगस्टर, जब्ती करण के साथ-साथ गैंग रजिस्ट्रेशन करने के निर्देश दिए थे. पुलिस ने उक्त मामले में 10 सदस्य गैंग का रजिस्ट्रेशन किया है. इसमें गैंग का रजिस्ट्रेशन नंबर डी 85/2022 दिया और गैंग का नाम प्रवीन बजौता का गैंग दिया गया.
एटा कारोबारी संदीप गुप्ता मर्डर में रजिस्टर्ड हुए प्रवीण बजौता गैंग लीडर, जितेंद्र उर्फ कंजा, प्रदीप, अंकुश अग्रवाल, राजीव कुमार अग्रवाल, दुष्यंत चौधरी, साहिल यादव, मनीष शर्मा, उत्कर्ष अनुराग उर्फ पार्थ सदस्य रखे गए हैं. जहां एक और किसी संस्था के अध्यक्ष और सदस्य बनने के लिए लोग बहुत उत्सुक होते हैं, वही गैंग का सदस्य बनने से बचना चाहिए, क्योंकि ऐसे गेम के सदस्यों पर पुलिस की तिरछी नजर रहती है. अधिकतर जेल के अंदर रहते हैं, बड़ी मुश्किल से जमानत होती है और पूरा जीवन सलाखों के अंदर-बाहर में गुजर जाता है.
रिपोर्ट : चमन शर्मा