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लॉकडाउन में नवजात बच्ची को लेकर हरियाणा से अपने गांव पहुंची महिला,10 दिन पहले हुआ था बच्ची का जन्म

लॉकडाउन में अपनी नवजात बच्ची को लेकर हरियाणा से ट्रक में सवार होकर चली महिला आखिरकार बलिया स्थित अपने गांव पहुंच ही गई.अपनी नवजात को लेकर अपने गांव के लिए चली इस महिला को रास्ते में लॉकडाउन के कारण काफी कठिनाइयों को झेलना पड़ा लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. लॉकडाउन की कठिनाइयों को झेलते हुए उसे अंतत: कामयाबी मिली. महिला ने रविवार को समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि वह उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बसे जिले के अपने नौरंगा गांव पहुंच चुकी है और अब पूरी तरह वह सामान्य है.

लॉकडाउन में अपनी नवजात बच्ची को लेकर हरियाणा से ट्रक में सवार होकर चली महिला आखिरकार बलिया स्थित अपने गांव पहुंच ही गई.अपनी नवजात को लेकर अपने गांव के लिए चली इस महिला को रास्ते में लॉकडाउन के कारण काफी कठिनाइयों को झेलना पड़ा लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी. लॉकडाउन की कठिनाइयों को झेलते हुए उसे अंतत: कामयाबी मिली. महिला ने रविवार को समाचार एजेंसी भाषा को बताया कि वह उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पर बसे जिले के अपने नौरंगा गांव पहुंच चुकी है और अब पूरी तरह वह सामान्य है.

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स्थानीय लोगों ने की मदद :

दरअसल इस महिला ने लॉकडाउन अवधि में ही एक बच्ची को जन्म दिया था. और उसके बताए मुताबिक वह अपने पति जावेद और देवर अख्तर के साथ हरियाणा से ट्रक में बैठकर बैरिया थानाक्षेत्र के चिरइया मोड़ पर उतरी. उसके साथ उसकी दो साल की बेटी जोया थी.वहीं उसके साथ उसकी दूसरी बच्ची भी थी जिसका जन्म दस दिन पहले ही हुआ था. उसने बताया कि नवजात बच्ची लगातार रो रही थी लेकिन वह उसे चुप करा पाने में असमर्थ थी. गांव के लिए साधन के इंतजार में सड़क किनारे बैठी इस महिला ने पत्रकारों और स्थानीय लोगों को आपबीती सुनायी जिसके बाद स्थानीय लोगों ने उसे उसे उसके गांव तक पहुंचाने में मदद की. और इस तरह वह अपने घर पहुंचने में सफल रही.

10 दिन पहले हुआ था बेटी का जन्म :

उसने बताया कि लॉकडाउन में ही 10 दिन पहले उसकी दूसरी बेटी का जन्म हुआ. वह अभी प्रसव पीड़ा से उबर भी नहीं सकी थी कि उसके पति ने जानकारी दी कि जिस कम्पनी में वो काम करते हैं वो लॉकडाउन के कारण बन्द हो गयी है. पति से उसे जानकारी हुई कि कम्पनी में काम करने वाले मजदूरों ने किराये पर एक ट्रक किया है और सभी मजदूर ट्रक से ही गांव जा रहे हैं. महिला ने बताया कि उसका पति हरियाणा में टाइल्स बनाने वाली कम्पनी में काम करता था और कम्पनी बन्द होने के कारण आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई थी. हरियाणा में रह पाना उनके लिए संभव नहीं हो पा रहा था. उसने बताया कि किसी तरह उसने और उसके पति ने तीन लोगों का ट्रक का सात हजार रुपये किराया दिया और ट्रक से यहां तक पहुंची और फिर स्थानीय लोगों की मदद से गांव तक पहुंच पाई.

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