Lockdown: उत्तराखंड से पैदल चले थे चार मजदूर, एक की हो गई मौत
देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद उत्तराखंड के नैनीताल स्थित लाल कुंवा से एक मजदूर चल दिया. मजदूर को खाने-पीने व रहने की बहुत परेशानी हो रही थी. लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया था. भोजन की व्यवस्था नहीं होने के कारण वह पैदल ही अपने घर चल पड़ा. मजदूर को पैदल चलना महंगा पड़ गया. मजदूर पैदल चलने के कारण गुरुवार की देर शाम को उसकी मौत हो गयी.
बलिया. देश में लॉकडाउन लागू होने के बाद उत्तराखंड के नैनीताल स्थित लाल कुंवा से एक मजदूर चल दिया. मजदूर को खाने-पीने व रहने की बहुत परेशानी हो रही थी. लॉकडाउन के कारण काम बंद हो गया था. भोजन की व्यवस्था नहीं होने के कारण वह पैदल ही अपने घर चल पड़ा. मजदूर को पैदल चलना महंगा पड़ गया. मजदूर पैदल चलने के कारण गुरुवार की देर शाम को उसकी मौत हो गयी. मामला उत्तर प्रदेश के बलिया निवासी मनियर थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत दिघेड़ा अंतर्गत गौराबंगही का है. मिली जानकारी के अनुसार स्थानीय निवासी श्याम बहादुर यादव उम्र 55 वर्ष पुत्र केदार यादव अक्सर मजदूरों को लेकर उत्तराखंड के लाल कुंवा जाते थे. वहां, मजदूर नदी से रेत, बजरी निकालते थे.
इस वर्ष भी वह कुछ मजदूरों को लेकर होली के दो दिन बाद गए थे. वहां, लाल कुंवा के गौला गेट जिला नैनीताल में मजदूरों के साथ थे. नदी में अधिक पानी होने के कारण काम बंद था. लिहाजा मजदूर गेहूं की कटिया किया करते थे और किसी तरह से अपनी जीविका चलाते थे. इसके बाद नदी का पानी कम होने पर मुश्किल से चार रोज काम किए थे. तब तक लॉकडाउन हो गया. वहां से वे अपने साथ गए करीब 10 मजदूरों के साथ पैदल निकल पड़े. 06 मजदूर आगे निकल गए थे. उनके साथ चार मजदूर थे. तीन दिन बाद करीब 100 किलोमीटर की यात्रा तय कर पीलीभीत पहुंचे. उनके साथ आये दया राजभर निवासी गौरी शाहपुर मठिया ने बताया कि बिना खाए-पिए, चाय और बिस्कुट के सहारे यह यात्रा इन लोगों ने पूरी की थी. बीच रास्ते में ही पीलीभीत के पास श्याम बहादुर यादव को पैरालाइसिस हो गया. उनके साथ चल रहे मजदूरों ने इसकी सूचना परिजनों को दी.
परिजन उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी से संपर्क कर सहयोग की मांग की. उनकी पहल पर किसी स्थानीय नेता के सहयोग से उन्हें पीलीभीत जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया. सिर्फ दया राजभर को वहां के प्रशासन ने श्याम बहादुर के साथ रहने को कहा. बाकी लोगों को वहीं क्वॉरेंटाइन कर दिया गया. वहां से उन्हें बरेली बेहतर इलाज के लिए रेफर कर दिया गया. इसके बाद स्थिति में सुधार न होने पर रविवार को घर ले आया गया. गुरुवार के दिन किसी डॉक्टर के यहां ले जाते समय रास्ते में ही उनकी मौत हो गई. मृतक का बड़ा बेटा मनोज यादव लॉकडाउन में बंगलुरु में फंसा हुआ है.