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यूपी में हड़ताल करने पर अब होगी सजा, योगी सरकार ने ESMA कानून किया लागू

यूपी की योगी सरकार कोरोना संक्रमण के दौरान मशीनरी में किसी भी तरह की लापरवाही के पक्ष में नहीं नजर आ रहे. प्रदेश सरकार ने राज्य में आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम ( ESMA ) कानून लागू कर दिया है.जिसके तहत अब आवश्यक सेवा में लगे कर्मचारी छुट्टी या हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे.इस सेवा क्षेत्र के दायरे में आने वाले सभी कर्मचारियों को इसका पालन करना होगा. इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अब कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी.

यूपी की योगी सरकार कोरोना संक्रमण के दौरान मशीनरी में किसी भी तरह की लापरवाही के पक्ष में नहीं नजर आ रहे. प्रदेश सरकार ने राज्य में आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम ( ESMA ) कानून लागू कर दिया है.जिसके तहत अब आवश्यक सेवा में लगे कर्मचारी छुट्टी या हड़ताल पर नहीं जा सकेंगे.इस सेवा क्षेत्र के दायरे में आने वाले सभी कर्मचारियों को इसका पालन करना होगा. इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ अब कानूनी कार्रवाई की जा सकेगी.

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क्या है एस्मा कानून ?

आवश्यक सेवा अनुरक्षण अधिनियम ( ESMA ) भारतीय संसद द्वारा पारित अधिनियम है, जिसे 1968 में लागू किया गया था. संकट की घड़ी में कर्मचारियों के हड़ताल को रोकने के लिए इस कानून की जरूरत दिखी थी. जब एस्मा लागू किया जाता है तो लागू करने से पहले इससे प्रभावित होने वाले कर्मचारियों को इसकी सूचना दे दी जाती है.

कौन आएंगे दायरे में ?

उत्तर प्रदेश अत्यावश्यक सेवाओं का अनुरक्षण अधिनियम, 1966 के तहत राज्यपाल ने लगाया है. जिसके द्वारा 6 मास की अवधि के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी है. इसके दायरे में उत्तर प्रदेश राज्य के कार्य-कलापों से सम्बन्धित किसी लोक सेवा, राज्य सरकार के स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन किसी निगम के अधीन किसी सेवा तथा किसी स्थानीय प्राधिकरण के अधीन सेवा शामिल है.

एस्मा कानून का उल्लंघन करना गैरकानूनी :

किसी राज्य सरकार या केंद्र सरकार द्वारा यह कानून अधिकतम छह माह के लिए लगाया जा सकता है. इस कानून के लागू होने के बाद यदि कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो उनका य​ह कदम गैाकानूनी माना जाता है और यह दंडनीय की श्रेणी में आता है. एस्मा कानून का उल्लंघन कर हड़ताल पर जाने वाले किसी भी कर्मचारी को बिना वारंट गिरफ्तार किया जा सकता है.

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