8 जून से खुल रहा है इस मंदिर का पट, भगवान के दर्शन के लिए दिखाना होगा ये सर्टिफिकेट, जानिए रावण को लेकर क्या है मंदिर की मान्यता
यूपी में कोरोना के मामलों में आ रही कमी को देखते हुए सरकार धीरे-धीरे अनलॉक करने पर विचार कर रही है. यूपी सरकार का कहना है कि अब धीरे-धीरे प्रदेश में जारी कोरोना कर्फ्यू में ढ़ील दी जाएगी. इसी कड़ी में गाजियाबाद स्थित प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर के कपाट भी 8 जून से खोल दिए जाएंगे. लेकिन कपाट खुलने के बाद भी मंदिर में भगवान का दर्शन और पूजा करने की सबको इजाजत नहीं होगी.
यूपी में कोरोना के मामलों में आ रही कमी को देखते हुए सरकार धीरे-धीरे अनलॉक करने पर विचार कर रही है. यूपी सरकार का कहना है कि अब धीरे-धीरे प्रदेश में जारी कोरोना कर्फ्यू में ढ़ील दी जाएगी. इसी कड़ी में गाजियाबाद स्थित प्राचीन दूधेश्वरनाथ मंदिर के कपाट भी 8 जून से खोल दिए जाएंगे. लेकिन कपाट खुलने के बाद भी मंदिर में भगवान का दर्शन और पूजा करने की सबको इजाजत नहीं होगी.
मंदिर में जाने के लिए पूरी करनी होगी ये शर्तः कोरोना महामारी के बीच मंदिर का पट तो खुल रहा है लेकिन इसके अंदर उन्हीं भक्तों को जाने दिया जाएगा जिनके पास निगेटिव कोरोना रिपोर्ट होगी, और वैक्सीन लगवाने का सर्टिफिकेट होगा. यानी अगर कोई मंदिर में जाना चाहता है तो उसे पहले निगेटिव कोरोना रिपोर्ट और वैक्सीनेशन की सर्टिफिकेट दिखाना होगा. तभी मंदिर के अंगर प्रवेश मिलेगा.
5 लोगों को मंदिर में जाने की होगी अनुमतिः कोरोना को देखते हुए मंदिर में कोविड नियमों (Corona Virus Guidelines) का कड़ाई से पालन किया जाएगा. मंदिर में भगवान के दर्शन के लिए एक साथ सिर्फ 5 लोग ही जा सकते हैं. महंत नारायण गिरी महाराज ने बताया कि कोरोना को देखते हुए यह फैसला किया गया है. वहीं उन्होंने यह भी कहा कि, कोरोना के कारण मंदिर के बंद किया गया था. लेकिन कोरोना केस में कमी आने के बाद इसे खोला जा रहा है.
मंदिर में जाने के लिए करना होगा ये काम
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निगेटिव कोरोना रिपोर्ट लेनी होगी
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वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट दिखानी होगी
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मंदिर में जाने के लिए मास्क लगाना अनिवार्य होगा
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सैनेटाइजर मशीन से होकर मंदिर में प्रवेश मिलेगा
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एक साथ 5 से ज्यादा लोग नहीं जा सकेंगे मंदिर के अंदर
गौरतलब है कि दूधेश्वरनाथ मंदिर काफी प्राचीन है. जिनता पुराना मंदिर है उतनी ही पुरानी इसकी मान्यता है. मंदिर के बारे में मान्यता है कि इसी मंदिर में रावण ने पहली बार ऑअपने सिर की आहुति महादेव को दी थी. मंदिर के शिलालेखों में आज भी इसके प्रमाण मौजूद हैं.
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Posted by: Pritish Sahay