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Lucknow News: भाजपा के पूर्व MLA खब्बू तिवारी की अपील पर फैसला सुरक्षित, फर्जी मार्कशीट का है मामला

राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश चंद्र वर्मा ने दलील दी कि अपीलार्थी इस मामले में 30 साल तक फरार रहा. उसकी फरारी से ट्रायल बहुत अधिक विलंब हुआ. कहा गया कि मामला की एफआईआर अयोध्या जनपद के थाना राम जन्मभूमि में वर्ष 1992 में ही दर्ज करायी गई गई थी.

By Prabhat Khabar News Desk | November 16, 2022 10:19 AM

Lucknow News: फर्जी मार्कशीट मामले में भाजपा के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू की अपील पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है. पूर्व विधायक ने ट्रायल कोर्ट द्वारा खुद को दोष सिद्ध किए जाने व सजा के खिलाफ अपील दाखिल की हुई है.

न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने मंगलवार को पूर्व विधायक व राज्य सरकार के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित किया. इंद्र प्रताप तिवारी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आईबी सिंह ने दलील दी कि अभियोजन कथानक की पुष्टि किसी भी गवाह के बयान से नहीं होती है.

उन्होंने कहा कि मामले में जो भी दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए थे, वह मूल प्रतियां नहीं थी. मूल प्रतियां ना होने या मूल प्रतियों से मिलान ना होने के कारण इन दस्तावेजों को साक्ष्य नहीं माना जा सकता.

इसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से अपर शासकीय अधिवक्ता उमेश चंद्र वर्मा ने दलील दी कि अपीलार्थी इस मामले में 30 साल तक फरार रहा. उसकी फरारी से ट्रायल बहुत अधिक विलंब हुआ. कहा गया कि मामला की एफआईआर अयोध्या जनपद के थाना राम जन्मभूमि में वर्ष 1992 में ही दर्ज करायी गई गई थी.

अपर शासकीय अधिवक्ता ने यह भी दलील दी कि मुकदमे के ट्रायल के दौरान अभियोजन ने साक्ष्य के तौर पर पेश किए गए दस्तावेजों की प्रामाणिकता का कोई प्रश्न नहीं उठाया है. इसलिए अपील में दस्तावेजों की प्रामाणिकता के विरुद्ध दलील नहीं दी जा सकती.

ये प्रकरण अयोध्या के थाना रामजन्मभूमि का वर्ष 1992 का है. 14 फरवरी 1992 में साकेत स्नातकोत्तर महाविद्यालय में फर्जी अंक पत्रों के आधार पर प्रवेश लेने का मामला प्रकाश में आया था. इसके मुताबिक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू ने बीएससी द्वितीय वर्ष परीक्षा 1990 में अनुत्तीर्ण होने के बावजूद बीएससी तृतीय वर्ष में प्रवेश प्राप्त कर लिया.

साकेत महाविद्यालय के तत्कालीन प्राचार्य यदुवंश राम त्रिपाठी के संज्ञान में ऐसे तीन मामले 14 फरवरी 1992 को आया. तब उन्होंने एसएसपी को इंद्र प्रताप तिवारी सहित तीनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के लिए तहरीर दी थी.

इसके बाद मामले में थाना रामजन्मभूमि इंद्र प्रताप तिवारी व दो अन्य के विरुद्ध धारा 420, 467, 468, 471 के तहत केस दर्ज किया गया. मामले के विवेचक ने तीनों के खिलाफ आरोप पत्र संबंधित अदालत में प्रस्तुत किया. अदालत में सुनवाई के दौरान वादी एवं गवाहों के बयान के आधार पर कोर्ट की विशेष न्यायाधीश (तत्कालीन) पूजा सिंह ने मामले में 18 अक्तूबर 2021 को इंद्र प्रताप तिवारी सहित तीनों को दोषी पाया.

इसके बाद इन्हे धारा 420 में तीन साल की सजा और छह हजार जुर्माना, धारा 468 में पांच साल की सजा और आठ हजार जुर्माना और धारा 471 में दो साल की सजा और पांच हजार जुर्माना से दंडित किया. इसके बाद तीनों को जेल भेज दिया गया था. दो महीने पहले जेल में सजा काट रहे इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई थी.

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