Sanjay Nishad : निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद का उत्तर प्रदेश की राजनीति में कद बढ़ गया है. शुक्रवार को उन्होंने कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली. उनकी पार्टी ने इस बार के विधानसभा चुनाव में 11 सीटों पर जीत मिली है.
संजय निषाद को सहजनवा के कसरवल कांड से पहचान मिली, जो निषादों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिलवाने की मांग को लेकर हुआ था. भाजपा के साथ से निषाद पार्टी आठ साल में ही यूपी की चौथी सबसे बड़ी पार्टी बन गयी है.
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निषाद पार्टी ने 2017 का विधानसभा चुनाव पीस पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था. गठबंधन के तहत निषाद पार्टी ने 72 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारा था, लेकिन जीत मिली सिर्फ भदोही की ज्ञानपुर सीट पर. यहां से विजय मिश्रा विधायक चुने गये थे. संजय निषाद खुद गोरखपुर देहात सीट से चुनाव हार गये थे.
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साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. इस चुनाव में संजय निषाद ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर अपने बेटे प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा और संसद पहुंचाया.
गोरखपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव में मिली हार के बाद भाजपा ने निषाद पार्टी के साथ गठबंधन की कवायद तेज कर दी. 2019 का लोकसभा चुनाव भाजपा ने निषाद पार्टी के साथ गठबंधन कर लड़ा. प्रवीण निषाद को इस बार संतकबीरनगर से टिकट दिया गया, जहां से जीतकर वह दूसरी बार संसद पहुंचे. संजय निषाद को भी भाजपा ने विधान परिषद सदस्य बनाया.
भाजपा ने इस बार का विधानसभा चुनाव अपना दल (सोनेलाल) और निषाद पार्टी के साथ मिलकर लड़ा. गठबंधन के तहत निषाद पार्टी को 15 सीटें दी गई थी, जिसमें से उसने 11 सीटों पर जीत दर्ज की. इनमें से पांच सीटों पर निषाद पार्टी के प्रत्याशी भाजपा के सिंबल पर चुनाव लड़े थे. इनमें संजय निषाद के बेटे सरवन निषाद भी शामिल हैं, जो गोरखपुर के चौरी चौरा से जीतकर विधानसभा पहुंचे.
Posted By: Achyut Kumar