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अमेठी की रमाकांती कौन हैं ? जिनके जरिए प्रियंका गांधी ने समझाया महिला सशक्तिकरण का मतलब

प्रियंका गांधी ने रायबरेली में शक्ति संवाद के जरिए अमेठी की रहने वाली महिला रमाकांत का जिक्र किया. इस दौरान प्रियंका ने कहा, एक मां क्यों संघर्ष करती है कि उसकी बेटी अपने पैरों पर खड़ी हो जाए? क्योंकि वह अपना संघर्ष अपनी बेटी को देना नहीं चाहती.

Priyanka Gandhi in Raebareli: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने रविवार को रायबरेली में लड़की हूं लड़ सकती हूं शक्ति संवाद कार्यक्रम में महिलाओं और छात्राओं की बातों को सुना. इसके बाद अपने भाषण में प्रियंका गांधी ने अमेठी की एक महिला रमाकांती का जिक्र किया. रमाकांती के जरिए उन्होंने महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के लिए शिक्षा का क्या महत्व होता है, उसे समझाया.

प्रियंका गांधी ने कहा, कल मैं अमेठी में थी. मंच पर एक मेरी पुरानी सहेली आयी- रमाकांती . रमाकांती को मैं 15 सालों से जानती हूं. 15 साल पहले जब मैं इससे पहले बार मिली तो वह स्वयंसेवक समूह में शामिल हुई थी. उसने मुझे अपनी कहानी बतायी. मां बाप ने उसे पढ़ाया नहीं. उसकी बेटी हुई. बहुत इच्छा थी कि बेटी को पढ़ाऊं. लेकिन क्या करे. परिवार वाले सहमत नहीं थे. जब सब खेतों में काम करने चले जाते थे, तो रमाकांती साड़ी के फाल को सीती थी और चुपचाप से जब कोई घर पर नहीं था तो जाकर एक दुकान में जहां पर साड़ी के फाल बिकते थे, वहां जाकर बेचती थी.


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कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने आगे बताया, जब रमाकांती के पास पैसे इकट्ठा हो गए तो उसने सोचा कि अपनी बेटी को पढ़ाऊंगी. चुपचाप उसने बेटी को स्कूल भेजना शुरू किया, ताकि किसी को पता न चले कि बिटिया स्कूल जा रही है और पहले ही वापस ले आती थी. एक दिन पकड़ी गई. सब ने डांटा. ससुर जी, सासू जी ने डांटा कि इसे कैसे स्कूल भेज रही हो. इस पर रमाकांती ने उनसे एक सौदा किया कि बेटी को स्कूल भेजने दो. इसकी पढ़ाई का पैसा मैं भरूंगी. इस पर सब मान गए.

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प्रियंका गांधी ने आगे बताया, रमाकांती जब मुझसे कल मिली तो उसकी बेटी उसके साथ थी. कॉलेज पास कर लिया है उसने. नौकरी ढूंढ़ रही है… तो मां संघर्ष करती है… किसलिए? वह क्यों चाहती है कि उसकी बेटी अपने पैरों पर खड़ी हो क्यों कि वह अपना संघर्ष अपनी बेटी को नहीं देना चाहती. वह नहीं चाहती कि उसकी बेटी का पूरा जीवन संघर्ष में बीते.

Posted By: Achyut Kumar

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