Mafia Mukhtar Ansari: इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गैंगस्टर एक्ट के तहत 23 वर्ष पुराने एक मामले में बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी को दोषी करार दिया है. कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्तार अंसारी को पांच वर्ष कैद के साथ पचास हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने यह निर्णय राज्य सरकार की ओर से की गई अपील पर सुनवाई के बाद दिया है. सरकारी वकील राव नरेंद्र सिंह के अनुसार राज्य सरकार ने मुख्तार को गैंगस्टर के इस मामले में ट्रायल कोर्ट से बरी करने के आदेश को चुनौती दी थी. इस मामले की वर्ष 1999 में लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज है.
इससे पहले मुख्तार अंसारी पर साल 2003 में दर्ज एक मामले में न्यायमूर्ति डीके सिंह ने सुनवाई के दौरान मुख्तार अंसारी को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 353 (लोक सेवक को कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जान-बूझकर अपमान) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी पाया था. इसके साथ ही कोर्ट ने अंसारी पर 37,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. पूर्व विधायक को दो साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी. साथ ही, धारा 353 के तहत अपराध के लिए 10,000 रुपये और धारा 504 के तहत अपराध के लिए 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया. अदालत ने अंसारी को सात साल जेल की सजा भी सुनाते हुए धारा 506 के तहत किए गए अपराधों के लिए 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया था.
मामला साल 2003 का है जब लखनऊ के जिला जेल जेलर एसके अवस्थी ने आलमबाग पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि उन्हें आदेश के लिए धमकी दी गई थी. उन्होंने अपने आरोप में कहा था कि जेल में बंद अंसारी से मिलने आए लोगों की उन्होंने तलाशी ली थी. जेलर अवस्थी ने यह भी आरोप लगाया कि अंसारी ने गाली देते हुए उस समय उन पर पिस्तौल तान दी थी. एक निचली अदालत ने अंसारी को मामले में बरी कर दिया था लेकिन सरकार ने उस आदेश के खिलाफ एक अपील दायर की थी. बता दें कि अंसारी फिलहाल बांदा जेल में बंद है.