Loading election data...

मैनपुरी उपचुनाव के लिए डिंपल यादव ने किया नामांकन, नेताजी की गैरमौजूदगी में बीजेपी बनेगी चुनौती ? पढ़ें..

मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा उम्मीदवार डिंपल यादव ने उपचुनाव के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया है. नामांकन दाखिल करने से पहले डिंपल ने अपने ससुर स्व. मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान अखिलेश यादव भी उनके साथ मौजूद रहे.

By Sohit Kumar | November 15, 2022 6:39 AM
an image

Mainpuri By Election: समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा की सीट खाली हो गई. सपा ने यहां से मुलायम सिंह की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को मैदान में उतारा है. आज डिंपल यादव पर्चा दाखिल करने के लिए अपने आवास से निकल चुकी हैं. नामांकन से पहले उन्होंने अपने ससुर स्व. मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि अर्पित की.

मैनपुरी लोकसभा में जाति समीकरण की बात की जाए तो यादव बहुल इस सीट पर सपा का पहले से ही दबदबा कायम है. यही कारण है कि इस सीट को सपा का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार देखना दिलचस्प होगा कि बहू डिंपल यादव के सामने दूसरी पार्टी के प्रत्याशियों की चल पाती है या एक बार फिर सपा के नाम ही ये सीट होगी?

क्या अपर्णा यादव होंगी मैनपुरी से बीजेपी प्रत्याशी?

बता दें, साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मैनपुरी सीट से समाजवादी पार्टी के संरक्षक स्व. मुलायम सिंह यादव मैदान में उतरे थे. उन्होंने भारी जीत दर्ज की और भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य को बड़े अंतर से हराया, लेकिन इस बार बीजेपी ने अभी तक डिंपल यादव के सामने अपने प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया है. हालांकि, चुनावी गलियारों में चर्चा चल रही थी कि बीजेपी अपर्णा यादव को यहां से अपना प्रत्याशी घोषित कर सकती है.

मैनपुरी लोकसभा सीट का जातीय समीकरण

मैनपुरी लोकसभा सीट पर अगर जातीय समीकरण की बात की जाए तो सर्वाधिक बाहुल्य यहां पर यादवों का है. इस सीट पर यादव मतदाता करीब सवा चार लाख की संख्या में है, और उसके बाद शाक्य मतदाता हैं, जिनकी संख्या करीब सवा तीन लाख हैं. यहां क्षत्रिय मतदाता सवा दो लाख, ब्राह्मण 110000 और दलित वोट करीब 120000 है. इसके अलावा मैनपुरी सीट पर एक लाख लोधी, 70000 वैश्य और 55000 मुस्लिम मतदाता भी है.

मैनपुरी सीट पर सपा और भाजपा में कड़ी टक्कर

बता दें, 2019 में सपा और बसपा का गठबंधन था. ऐसे में बसपा ने कोई भी प्रत्याशी नहीं उतारा जिसका फायदा मुलायम सिंह यादव को मिला और बसपा का वोटबैंक भी सपा में चला गया. वहीं इस बार अभी तक बसपा ने कोई भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया है. वहीं कांग्रेस ने इस बार उपचुनाव में प्रत्याशी उतारने से साफ इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि कांग्रेस नगर निकाय चुनाव में ध्यान दे रही है. ऐसे में मैनपुरी सीट से सपा और भाजपा में ही कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है.

मैनपुरी में शाक्य वोटबैंक को पाले में लाने की कोशिश

इस सीट पर 2019 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने प्रेम सिंह शाक्य को अपना प्रत्याशी बनाया था, लेकिन दूसरे नंबर पर शाक्य के बाहुल्य सीट होने के बावजूद बीजेपी प्रत्याशी अपना असर नहीं दिखा पाए और मुलायम सिंह यादव ने जीत हासिल की. अभी हाल ही में समाजवादी पार्टी ने मैनपुरी से आलोक शाक्य को जिला अध्यक्ष बनाया है. इससे मालूम पड़ता है कि समाजवादी पार्टी शाक्य वोट को अपनी तरफ खींचने की कोशिश में जुटी है.

रिपोर्ट- राघवेन्द्र गहलोत, आगरा

Exit mobile version