Mainpuri By-Election: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शनिवार को भोगांव विधानसभा क्षेत्र में जनसंपर्क कर मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव को रिकार्ड मतों से जिताने की अपील की. अखिलेश यादव ने गांव नगला बलसिंह, पहाड़पुर, ग्राम निहालपुर, व्योंती कटरा, जलालपुर, ग्राम दिखतमई, गग्गरवारा, घुटारा मासूमपुर, गढ़िया, छिनकौरा मोड, खूजा व नगला ठकुरी, नगला केहरी, बेवर नगर में इटावा रोड पर और छिबरामऊ के चुंगी के सामने, जीटी रोड पर मतदाताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात कर डिंपल यादव को वोट देने की अपील की.
सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का बेवर नगर में शमसाद अली के निवास से जीटी रोड बहाता में दिनेश यादव के नेतृत्व में स्वागत किया गया. उन्होंने तोताराम यादव के आवास पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. जीटी रोड पर नहर पुल के पास ग्राम पंचायत मल्लामई के पूर्व प्रधान नवाब सिंह के आवास पर जाकर उन्होंने शोक संवेदना प्रकट की.
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अखिलेश यादव ने गग्गरपुर नहर पुल से ग्राम बनकिया जीटी रोड पर स्थित प्रतिष्ठानगर में कार्यकर्ता से संवाद के उपरांत टीपी गार्डेन, स्टेशन रोड पर मैनपुरी आईएमए के डॉक्टरों से बैठक कर डिंपल यादव को 05 दिसंबर 2022 को ईवीएम में साइकिल वाले बटन को दबा कर भारी मतों से विजयी बनाने का आग्रह किया.
पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ‘संविधान दिवस‘ पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए कहा है कि भारत की संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित किया था. व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने वाली बंधुता बढ़ाने का संकल्प लिया था. उन्होंने कहा कि देश संक्रमण काल से गुजर रहा है. संवैधानिक संस्थाएं लगातार कमजोर होती जा रही हैं.
उन्होंने कहा कि व्यक्ति की स्वतंत्रता का अपहरण हो रहा है. पंथनिरपेक्षता का संकल्प दिन प्रति दिन क्षीण होता जा रहा है. यह भारत के संविधान की उद्देशिका को भूलने का प्रयास तो नहीं है? लोकशाही को बचाने के लिए तानाशाही प्रवृत्तियों पर अंकुश लगाना आवश्यक है. ऐसी ताकतें, जो राजनीतिक दल के रूप में भारतीय संविधान की मूलभावनाओं को कुचलने में लगी हैं, उनके विरुद्ध जनमानस को उनके अधिकारों के प्रति सजग करना होगा.
अखिलेश यादव ने कहा कि आखिर आज ऐसा क्यों हो रहा है कि जैसे-जैसे समय बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे सामाजिक न्याय और समान अवसर पर संकट बढ़ता जाता है? आजादी के 75 वर्ष हो गए पर लोकतांत्रिक संस्थाएं और संवैधानिक संस्थाएं पूरी मजबूती से स्थापित क्यों नहीं हो पाई हैं? इनसे छेड़छाड़ होते रहना क्या संकट का कारण नहीं होगा? नागरिक अधिकारों पर कुठाराघात, अभिव्यक्ति की आजादी के साथ हो रहा खिलवाड़ लोकतंत्र पर गम्भीर खतरे का संकेत तो नहीं है?