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UP: बरेली लोकसभा सीट से मेनका गांधी, पीलीभीत से वरुण, विपक्षी पार्टियों से सीट छुड़वाने का क्या है प्लान

लोकसभा चुनाव 2014 के प्लानिंग और तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है. कौन, कहां से चुनाव लड़ेगा इसकी भी अंदर ही अंदर रणनीति तैयार की जा रही है. ऐसा ही एक नाम पूर्व मंत्री एवं गांधी परिवार की बहू मेनका गांधी का भी चर्चा में है. उनके बरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की सियासी गलियारों में चर्चा है.

Bareilly News: लोकसभा चुनाव 2024 में 16 महीने से भी कम का समय बचा है, जिसके चलते सियासी दलों के साथ-साथ नेता भी सियासी रूतवा बरकरार रखने को कर्मभूमि में रात दिन मेहनत कर रहे हैं, तो वहीं कुछ नई सियासी कर्मभूमि की तलाश में हैं. ऐसा ही एक नाम पूर्व मंत्री एवं गांधी परिवार की बहू मेनका गांधी (Maneka Gandhi) का भी चर्चा में है. उनके बरेली लोकसभा सीट से बिहार के सीएम नीतीश कुमार की पार्टी जदयू से चुनाव लड़ने की सियासी गलियारों में चर्चा है.

बरेली लोकसभा सीट का गोपनीय सर्वे

बरेली लोकसभा सीट सपा, बसपा और कांग्रेस से गठबंधन में छुड़वाने की बात सामने आ रही है. उनके बेटे पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी के भी इसी तरह से चुनाव लड़ने की चर्चा है. क्योंकि, वर्ष 2004 में सपा के पूर्व सांसद सर्वराज सिंह ने भी जदयू से लड़कर भाजपा से सीट छुड़वाई थी. इसके बाद जीत दर्ज की. मगर, इस बार सपा और कांग्रेस से सीट छुड़वाने की तैयारी है. इसके लिए सांसद मेनका गांधी बरेली लोकसभा सीट का गोपनीय सर्वे भी करा चुकी हैं, टीम मतदाताओं की संख्या से लेकर आंकड़े तक लेकर जा चुकी है.

बरेली लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख मतदाता

इसके बाद ही बरेली के प्रमुख लोगों में चर्चा शुरू हुई है. कुछ सियासी जानकर और पुराने पत्रकारों से भी बात की थी. उन्होंने नाम न छपने की शर्त पर बताया कि बरेली लोकसभा सीट पर करीब 18 लाख मतदाता हैं. इसमें सबसे अधिक करीब 7.50 लाख मुस्लिम, 3 लाख कुर्मी, 2.50 लाख एससी, वैश्य, कायस्थ, सिख आदि वोट है. बरेली में करीब 45 हजार सिख वोट भी है. इस पर मेनका गांधी की मजबूत पकड़ मानी जाती हैं.

गोपनीय सर्वे पर नहीं मिल सका मेनका गांधी का पक्ष

गठबंधन से चुनाव लड़ने में मुस्लिम, एससी, सिख के साथ ही यादव वोट मिलेगा. इसके साथ ही सीएम नीतीश कुमार की जनसभा कराने से कुर्मी वोट में सेंधमारी की जा सकती है. क्योंकि, नीतीश कुमार के विपक्ष का पीएम का चेहरा होने की उम्मीद है. गोपनीय सर्वे और मेनका गांधी के बरेली से लड़ने को लेकर पक्ष जानने की कोशिश की गई. मगर, उनसे संपर्क नहीं हो सका. दिल्ली निवास पर बात की गई, तो मैडम के विदेश में होने की बात कही गई, लेकिन उनका पक्ष मिलने के बाद उनकी बात भी लिखी जाएगी.

1989 में पीलीभीत से बनीं सांसद, ऐसा है सियासी सफर

मेनका गांधी 1989 से पीलीभीत में पहली बार सांसद चुनी गईं थीं. वह 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 तक पीलीभीत से सांसद बनी थीं, लेकिन वर्ष 2009 में बेटे वरुण गांधी के लिए सीट छोड़कर बरेली की आंवला सीट से चुनाव लड़ीं, और उस वक्त के सपा प्रत्याशी एवं वर्तमान भाजपा सांसद धर्मेंद्र कश्यप को मामूली अंतर से चुनाव हराया था. मगर, इसके बाद 2014 में फिर पीलीभीत लौट गईं. वह खुद पीलीभीत और बेटे वरुण गांधी को सुल्तानपुर से सांसद बनवाने में कामयाब हुईं.

भाजपा से खराब चल रहे हैं मेनका गांधी के रिश्ते?

मगर, 2019 में दोनों सीट बदल कर जीत हासिल की. चुनाव आयोग की वेबसाइट से मिली जानकारी के अनुसार, गांधी भाजपा के टिकट पर 14 हजार 526 वोटों से जीत हासिल कर पाई थीं. यहां मेनका गांधी को चार लाख 59 हजार 196 वोट मिले, जबकि गठबंधन के सोनू को चार लाख 44 हजार 670 वोट मिले. मगर, ऐसी खबर है कि कुछ समय से उनके रिश्ते भाजपा से काफी खराब चल रहे हैं.

केंद्र की मोदी सरकार पर वरुण गांधी रहते हैं हमलावर

पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी केंद्र की मोदी सरकार पर लगातार हमलावर हैं. इससे साफ है, कि अगला चुनाव भाजपा से नहीं लड़ेंगे, तो वहीं भाजपा के भी उनके खिलाफ मजबूत प्रत्याशी के उतारने की चर्चा है. केंद्र की पहली मोदी सरकार में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री एवं भाजपा की अटल बिहारी बाजपेई की 1999 से 2004 की सरकार में राज्य मंत्री (सामाजिक न्याय और अधिकारिता), राज्य मंत्री (संस्कृति) और राज्य मंत्री (कार्यक्रम क्रियान्वयन एवं सांख्यिकी) के पदों पर रही हैं. मगर, 2019 में मंत्री नहीं बनाया गया. उनके बेटे पर भी संगठन के साथ ही मंत्रीमंडल में भी भरोसा नहीं जताया गया.

– 1989 में संतोष गंगवार का जीत से आगाज

पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद की पत्नी आबिदा अहमद बरेली लोकसभा सीट से दो बार सांसद चुनी गई थीं. उन्होंने भाजपा के वर्तमान सांसद संतोष कुमार गंगवार को हराया था. बरेली के सांसद संतोष कुमार गंगवार ने 1989 में पहली बार जीत हासिल की थी. इसके बाद 1991,1996, 1998, 1999, 2004 में सांसद बने थे. मगर, 2009 में कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन ने हरा दिया. 2014 और 2019 में फिर जीत दर्ज की.इसके साथ ही 1996, 1998, 1999 से 2004 तक, 2014 से 2019 तक और 2019 की सरकार में मंत्री बने थे. मगर, करीब एक साल पहले मंत्रीमंडल से हटा दिया गया.

लंबे अंतर से हराया भगवत शरण को चुनाव

बरेली लोकसभा सीट से 2019 के लोकसभा चुनाव में संतोष गंगवार को 565270 मत मिले थे. उन्होंने सपा और बसपा ठबंधन के सपा के प्रत्याशी भागवत शरण गंगवार को 167282 मत से हराया था. भगवत शरण गंगवार को 397988 वोट को वोट मिले थे.

रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद, बरेली

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