Mathura News: मथुरा वृंदावन में प्रशासन पर प्रताड़ना का आरोप लगाते हुए जनपद के 13 पीएचसी और सीएचसी प्रभारियों ने सामूहिक त्यागपत्र सीएमओ को भेजा है, जिसके बाद जिले के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. यह सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी प्रशासन पर अनावश्यक दबाव बनाए जाने का आरोप लगा रहे हैं. और बताया जा रहा है कि इसी दबाव के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया है. वहीं अधिकारी अब इन केंद्र प्रभारियों को मनाने में जुटे हुए हैं, ताकि फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था सुचारू की जा सके.
सभी डॉक्टरों ने आरोप लगाया है कि, जिला प्रशासन द्वारा विभिन्न समीक्षा बैठकों में स्वास्थ्य विभाग से जुड़ी परियोजनाओं के अंतर्गत 100% उपलब्धि के लिए उनके ऊपर दबाव बनाया जा रहा है, जिसकी वजह से तमाम चिकित्सा अधीक्षक तनाव में हैं और उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन की तरफ से उनका 3 महीने का वेतन भी रोक दिया गया है, जिसकी वजह से अब वह आर्थिक समस्या भी झेलने को मजबूर है.
ब्लॉक पर तैनात चिकित्सकों ने बताया कि, मथुरा जिले की स्थिति अगर स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्र में देखी जाए तो बहुत ज्यादा संतोषजनक है. स्वास्थ्य कर्मी विभाग के सभी दिशानिर्देशों का शत-प्रतिशत पालन कर रहे हैं और इसी की वजह से 3 महीने में उम्मीद से ज्यादा उपलब्धि हासिल हुई है, लेकिन फिर भी उन्हें अनावश्यक परेशान किया जा रहा है.
बुधवार को मथुरा के सीएमओ ऑफिस पर करीब दर्जनभर प्रभारी अपना इस्तीफा देने मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पास पहुंचे. इस दौरान इस्तीफा देने पहुंचे डॉक्टर संजीव चौधरी ने बताया कि जिस तरह से प्रशासन द्वारा दबाव बनाया जा रहा है उस स्थिति में यहां कार्य करना काफी मुश्किल हो रहा है. जबकि सभी स्वास्थ्य कर्मी बेहतर कार्य कर रहे हैं, लेकिन फिर भी उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जा रहा है और उन्हें मानसिक तनाव भी दिया जा रहा है.
उन्होंने अपना इस्तीफा सीएमओ को सौंप दिया है और उनसे कहा है कि वह उनकी जगह किसी और चिकित्सक को तैनात कर दें. हालांकि वह पूर्ण रूप से काम नहीं छोड़ रहे और साधारण चिकित्सक की तरह काम करते रहेंगे.
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बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय पर करीब 12 केंद्र प्रभारियों ने इस्तीफा दिया है. जिसमें वृंदावन सीएचसी प्रभारी विनायक सिंह, गोवर्धन प्रभारी बीएस सिसोदिया, कोसीकला प्रभारी गजेंद्र सिंह, डॉक्टर संदीप चौधरी, डॉक्टर सोनू चतुर्वेदी, डॉ राकेश, डॉ मनोज, डॉक्टर रामवीर, डॉक्टर शैलेंद्र, डॉक्टर विनय प्रताप सिंह, डॉ अरविंद और डॉक्टर तुलाराम शामिल थे.