Lucknow News: प्रदेश के मेरठ जनपद में सेना में नौकरी के नाम पर 16 लाख रुपये की ठगी का मामला सामने आया है. आरोपियों ने न सिर्फ युवक और उसके भाई को नौकरी दिलाने के नाम पर रुपये ठगे, बल्कि चार महीने तक फर्जी नौकरी भी करायी. दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि उनका एक साथी फरार है.
जांच में सामने आया है कि गाजियाबाद के रहने वाले मनोज का संपर्क मुजफ्फरनगर के खतौली थाने के कंकराला निवासी राहुल से हुआ. राहुल मेरठ की दौराला की कृष्णा कालोनी में रहता है. वह टेरिटोरियल आर्मी में तैनात है.
राहुल ने दौराला के अपने साथी बिट्टू के साथ मिलकर मनोज को भरोसा दिलाया कि वह सेना में उसकी नौकरी लगवा देगा. मनोज और उसके भाई की नौकरी लगवाने के लिए 16 लाख की रकम तय हुई. इसके बाद मनोज ने दस लाख रुपये नकद दिए और छह लाख की रकम राहुल के बैंक खाते में डिपॉजिट की.
राहुल इसके साथ ही मनोज को टेरिटोरियल आर्मी के आफिस में अपने साथ रखने लगा. राहुल ने मनोज को बाजार से खरीदकर सेना की वर्दी दी और आइडी कार्ड भी मुहैया कराया. उसने मनोज को अपने आफिस में बतौर फालोअर भी रख लिया. मनोज खाना बनाने का काम करने लगा.
योजना के मुताबिक बिट्टू कर्नल की वर्दी पहनकर मनोज से वीडियो काल पर बात करता था. इस वजह से उसे कोई शक भी नहीं हुआ. मनोज को बताया जाता रहा कि कर्नल अभी विदेश में हैं, वहां से लौटने के बाद उसका सेक्सन बदल देंगे. उसके बाद उसे फालोअर की नौकरी नहीं करनी पड़ेगी. मनोज चार महीने तक नौकरी कर चुका है. उसके खाते में प्रत्येक माह 12 हजार की तनख्वाह भी डाली जाती थी.
कर्नल के सामने नहीं आने पर मनोज को राहुल पर शक हुआ और उसने पुलिस को जानकारी दी. मनोज की शिकायत पर मेरठ पुलिस ने आर्मी की दिल्ली यूनिट से संपर्क साधा. इसके बाद आर्मी की दिल्ली यूनिट ने पूरे मामला का भंडाफोड़ किया. पुलिस ने दोनों आरोपितों राहुल और बिट्टू को गिरफ्तार कर लिया है. साथ ही दोनों के खिलाफ जांच भी शुरू कर दी.
एसपी सिटी मेरठ पीयूष सिंह ने बताया कि राहुल ने खुद को सेना में सिपाही बता कर 16 लाख रुपये ठग लिए. इसमें तीन लोग संलिप्त पाए गए हैं. राहुल और बिट्टू को गिरफ्तार कर लिया गया है, वहीं राजा नाम का एक शख्स फरार है. उसकी तलाश की जा रही है.
वहीं इस पूरे मामले ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. कोई व्यक्ति गैरकानूनी तरीके से कैंट एरिया में टेरिटोरियल आर्मी के आफिस में काम करता रहा और किसी को उसकी जानकारी तक नहीं लगी. इसे सुरक्षा व्यवस्था में बड़ी लापरवाही कहा जा रहा है.