Agra News: 32 साल पुराने पनवारी कांड में विधायक बाबूलाल चौधरी दोषमुक्त करार, 2 आरोपियों की हो चुकी है मौत

सिकंदरा क्षेत्र के गांव पनवारी में 22 जून 1990 को अनुसूचित जाति के छोटे लाल की बेटी की बारात आई थी. इस दौरान बारात चढ़ाने को लेकर अनुसूचित जाति और जाट समाज के लोगों में विवाद हो गया. जाट समाज के लोग बारात चढ़ाने का विरोध कर रहे थे.

By Prabhat Khabar News Desk | August 4, 2022 5:29 PM
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Agra News: ताजनगरी के सिकंदरा क्षेत्र में स्थित पनवारी गांव अनुसूचित जाति के परिवार की बेटी की बारात जाने को लेकर हुए दंगे के मामले में 32 साल बाद अदालत में भाजपा विधायक बाबूलाल चौधरी समेत अन्य आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है. मुकदमे के दौरान दो आरोपियों की मौत हो चुकी है. कोर्ट में यह मामला करीब 32 साल से चल रहा था. इसमें बाबूलाल को दोषमुक्त होने के बाद उन्हें बड़ी राहत मिली है.

दो वर्ग में हो गया विवाद

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सिकंदरा क्षेत्र के गांव पनवारी में 22 जून 1990 को अनुसूचित जाति के छोटे लाल की बेटी की बारात आई थी. इस दौरान बारात चढ़ाने को लेकर अनुसूचित जाति और जाट समाज के लोगों में विवाद हो गया. जाट समाज के लोग बारात चढ़ाने का विरोध कर रहे थे. जिसको लेकर दोनों पक्षों में आगजनी और पथराव हो गया. मामला बढ़ते देख पुलिस प्रशासन ने गांव में कर्फ्यू लगा दिया.

हथियारबंद लोग इकट्ठे हो गए

पनवारी गांव में जाट समाज के लोगों की संख्या अधिक थी. यहां की दलित बेटी मुंद्रा की शादी नगला पैमा में तय हुई थी. गांव जाटों ने ऐलान कर दिया कि बारात नहीं चढ़ाने दी जाएगी. बारात रोकने के लिए जाट अंदर ही अंदर तैयारी करने लगे. तत्कालीन जिलाधिकारी अमल कुमार वर्मा और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कर्मवीर सिंह तक यह सूचना पहुंची, लेकिन किसी ने गंभीरता से नहीं लिया. जब इस मामले में कुछ नेता कूदे तो प्रशासन ने ध्यान दिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी. हथियारबंद लोग एकत्रित हो गए थे.

जैसे ही बारात निकलनी शुरू हुई…

छतों पर मोर्चा जमा लिया था. भरतपुर से भी जाट आ गए थे. जैसे ही बारात निकलनी शुरू हुई, पथराव और फायरिंग शुरू हो गई. सेना के बुलाने के बाद पनवारी में स्थिति नियंत्रण में आई. इसी मामले में भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल के साथ तमाम लोगों को आरोपी बनाया गया था. वर्तमान में विशेष न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट नीरज गौतम इस मामले की सुनवाई कर रहे थे. सुनवाई के दौरान उन्होंने आरोपियों के खिलाफ कोई भी पुख्ता साक्ष्य ना होने के चलते सभी को दोषमुक्त कर दिया.

रिपोर्ट : राघवेंद्र गहलोत

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