Lucknow News: अब महिलाओं की सोच में परिवर्तन आया है. कम पढ़ी-लिखी महिलाएं भी मजदूरी करके अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने का प्रयास कर रही हैं. भारत अब रूढ़िवादी सोच से बाहर निकल रहा है. यह बातें रविवार को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहीं. वह डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय की ओर से आईईटी में आयोजित आविर्भाव दिवस 22 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य पर और मातृ दिवस के मौके पर बोल रहीं थीं.
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इस मौके पर उन्होंने मातृ शक्ति का सम्मान किया. परमार्थ संस्था के पांच बच्चों और उन्हें पढ़ाने वाली पांच आईईटी की छात्रा कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा बहुओं, निर्माण कार्य में लगी महिलाओं को सम्मानित किया. गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की. वहीं प्रसूता महिलाओं के शिशुओं को खीर खिलाकर अन्नप्राशन कराया. उन्होंने आईईटी के नवनिर्मित उत्तरी गेट का भी अनावरण किया. राज्यपाल आनंदीबेन पटेल महिलाओं के लिए अभिभावक की भूमिका में रहीं. उन्होंने बच्चों के सही पालन-पोषण के बारे में बताते हुए कहा कि बच्चों में बचपन से ही आत्मनिर्भर बनने की आदत डालनी चाहिए. माताओं को उन्हें ऐसा संस्कार देना चाहिए जिससे कि वो आगे चलकर किसी पर निर्भर न रहें. उन्होंने आईईटी की छात्राओं की तारीफ की. उन्होंने कहा कि अपनी पढ़ाई में से समय निकाल कर इन गरीब बच्चों को पढ़ाना वाकई बहुत काबील-ए-तारीफ है.
राज्यपाल ने कहा कि अभी भी 15 से 17 फीसदी बच्चों का जन्म अस्पताल में न होकर घरों में होता है. हमें अपने-अपने गांव या आस-पास की गर्भवती महिलाओं को अस्पताल में डिलेवरी के लिए जागरूक करना चाहिए. साथ ही कुपोषित बच्चों और टीबी के मरीज बच्चों के स्वास्थ्य के लिए जागरूक कर अपनी जिम्मेदारी निभाना चाहिए. घर में पड़ने वाले जन्म दिवस को होटल में मनाने की बजाय यदि हम आंगनबाड़ी केंद्रों पर जाकर बच्चों को खाना खिलाएं तो यह ज्यादा संतुष्टि देने वाला होगा.
उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में प्रदेश के विश्वविद्यालयों में पारंपरिक खेल जैसे, कबड्डी, खो-खो, लट्टू, गिल्ली डंडा का, लंगड़ी का आयोजन किया जाएगा. जिसमें छात्र से लेकर अध्यापकों तक की भागीदारी होगी. कहा कि हर विश्वविद्यालय परिसर में बरगद का पेड़ लगाना चाहिए. बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में शामिल प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने एकेटीयू के 22 वर्षीय यात्रा पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि इस 22 साल में विश्वविद्यालय ने बहुत से उतार-चढ़ाव को देखते हुए तकनीकी शिक्षा के विकास में योगदान दे रहा है. हिंदी में बीटेक की पढ़ाई करने वाला प्रदेश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय से जुड़े जितने कालेज हैं उन्होंने अपने यहां अपने स्रोतों से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की न्यूनतम एक छात्रा को पढ़ाने की पहल की है.
अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र ने माननीय राज्यपाल सहकुलाधिपति आनंदीबेन पटेल का आभार जताया. धन्यवाद ज्ञापन जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश ने दिया. उन्होंने कहा कि मातृ दिवस और विश्वविद्यालय के आविर्भाव दिवस पर आयोजित यह कार्यक्रम निश्चित ही हमें प्रेरणा देगा. उन्होंने माननीय राज्यपाल का आभार जताया. इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और राष्ट्रगान से हुई. विश्वविद्यालय के छात्रों ने कुलगीत गाया. इस मौके पर विश्वविद्यालय के 22 वर्षों के इतिहास को समेटे एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गयी. इसके पहले राज्यपाल ने आईईटी के नवनिर्मित उत्तरी द्वार का उद्घाटन किया.
आईईटी के विद्यार्थियों की ओर से परमार्थ संस्था बनाकर झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले बच्चों को निशुल्क पढ़ाया जाता है। इस मौके पर माननीय राज्यपाल ने पांच बच्चों काजल, शांति, अभिलाषा, स्वाति लक्ष्मी और पांच आईईटी की छात्राओं आंचल, उन्नति, शिल्पी, रीना शालिनी को सम्मानित किया जो इन बच्चों को पढ़ाती हैं. विश्वविद्यालय कर्मचारियों के गोद लिये अनाथ बच्चों राजमणि और शिवानी का सम्मान किया. आईईटी तीन महिला कर्मियों का भी सम्मान किया. इसके अलावा दो महिला ग्राम प्रधान आकांक्षा और राधा शुक्ला, स्वयं सहायता समूह की दो महिलाओं कंचन व सविता, दो गैर सरकारी जच्चा-बच्चा संगठनों यूनीसेफ और वर्ल्ड विजन का सम्मान किया गया.
कार्यक्रम में राज्यपाल ने पांच गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार भेंटकर गोदभराई की. इनमें पूजा, सना, सुमन, रंजना और दीपमाला रहीं. माननीय राज्यपाल से गोदभारई कर महिलाओं के चेहरे खिल गए. वहीं, पांच प्रसूता महिलाओं के शिशुओं को राज्यपाल ने खीर खिलाकर अन्न प्राशन कराया. प्रमुख सचिव प्राविधिक शिक्षा सुभाष शर्मा, कुलसचिव नंदलाल सिंह, उपकुलचिव डॉ आरके सिंह सहित अन्य लोग मौजूद रहे. कार्यक्रम का संचालन प्रो. वंदना सहगल ने किया.