सफलता के शिखर पर पहुंचे मुलायम सिंह यादव का विवादों से भी रहा गहरा नाता, कारसेवकों पर चलवाई थी गोली
सन 1990 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में कारसेवा के लिए देश के कोने-कोने से लाखों कारसेवकों को 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या पहुंचने का आह्वान कर किया था. बड़ी संख्या में कारसेवक अयोध्या की ओर चल पड़े. जैसे-जैसे इनकी सूचना यूपी सरकार के पास पहुंचनी शुरू हुई. रास्ते बंद और गलियां तंग होने लगी.
Mulayam Singh Yadav Controversy: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया. वे एक ऐसे नेता थे जिसने अथक परिश्रम से असंभव को संभव कर दिखाया था. हालांकि, उनके नाम के साथ एक विवाद भी जुड़ा हुआ है. उसका नाम है, अयोध्या काण्ड. आज जब नेताजी के जीवन से जुड़े इस विवाद को भी जानना जरूरी है.
सन 1990 में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में कारसेवा के लिए देश के कोने-कोने से लाखों कारसेवकों को 30 अक्टूबर 1990 को अयोध्या पहुंचने का आह्वान कर किया था. बड़ी संख्या में कारसेवक अयोध्या की ओर चल पड़े. जैसे-जैसे इनकी सूचना यूपी सरकार के पास पहुंचनी शुरू हुई. रास्ते बंद और गलियां तंग होने लगी. यहां सुरक्षा कड़ी कर दी गई. राम जम्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में हिंदू साधु-संतों और कारसेवक अयोध्या के हनुमान गढ़ी की ओर कूच कर रहे थे. उन दिनों श्रद्धालुओं की काफी भीड़ अयोध्या पहुंच रही थी. पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर बाबरी मस्जिद के 1.5 किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर रखी थी.
आंदोलन में 30 अक्टूबर 1990 की तारीख को अयोध्या को अर्धसैनिक बलों की मौजूदगी में चाक-चौबंद कर दिया गया. इसके बाद भी रामभक्तों का रेला कम नहीं हुआ. कारसेवक तीन किमी परिधि की अयोध्या में दाखिल हो जाते हैं. अंत में सीएम मुलायम सिंह यादव की प्रतिबद्धता का आखिरी हथियार गोलियों का प्रयोग इन्हें रोकने के लिए कर दिया गया. मुलायम सरकार के कार्यकाल में कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थी, जिसमें पांच लोगों की मौत हुई थी. इस गोलीकांड के बाद अयोध्या से लेकर देश का माहौल पूरी तरह से गर्म हो गया था. इस मामले में मुलायम सिंह यादव का नाम प्रमुख तौर पर आया था. उनसे जुड़ा ये विवाद काफी छाया रहा था.
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