Bareilly News: सपा संस्थापक स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव ने अपने दांव से अखाड़े में बड़े-बड़े पहलवानों को चित किया था. उन्होंने सियासी दंगल में भी बड़े-बड़ों को मात दी. सोशलिस्ट पार्टी से सियासी सफर शुरू करने वाले मुलायम सिंह यादव 1967 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतकर मंत्री बने. मंत्री रहने के दौरान वह एक बार कार्यक्रम में बरेली की आंवला तहसील आए थे.
आंवला के एक बुजुर्ग ने उनको नेताजी के नाम से संबोधन किया. इसके बाद उनकी ‘नेताजी’ के रूप में देश भर में पहचान बन गई. देश में सुभाष चंद्र बोस के बाद नेताजी का खिताब सिर्फ मुलायम सिंह यादव को मिला है. उस वक्त आंवला में आयोजित इस कार्यक्रम में सिर्फ 500 लोग जुटे थे. इसके बाद 1982 में आंवला के कुंडडा गांव में जनसभा की थी. यादव बाहुल्य गांव में बड़ी संख्या में भीड़ जुटी.
यहां सपा के पूर्व राजसभा सदस्य वीरपाल सिंह यादव ने कुछ लोगों के साथ नेताजी को सिक्कों से तोला था. इसके बाद बरेली से उनका नाता घर से जैसा हो गया. मगर, वह बरेली में आखिरी बार 20 दिसंबर 2016 को आए थे. उन्होंने शहर के जीआईसी इंटर कॉलेज में जनसभा की. इसमें 5 लाख की भीड़ जुटने का अनुमान जताया गया था. यहीं से सपा कुनबे में बवाल मचा था.
मुलायम सिंह यादव आखिरी बार 20 दिसंबर 2016 को बरेली आए थे. उन्होंने बरेली के जीआईसी मैदान में 20 दिसंबर 2016 को आयोजित जनसभा में अपने बेटे उस वक्त के सीएम अखिलेश यादव को निशाना साधकर घेरा था. मुलायम ने कहा था कि सपा सरकार में युवाओं को काफी कम नौकरियां दी गई हैं. इस मामले में हम बात करेंगे. इसके साथ ही शिवपाल सिंह यादव ने भी निशाना साधा. इस रैली के बाद से ही सपा कुनबे में फूट पड़ी थी, जो 2017 तक के चुनाव में चलती रही. इस कारण अखिलेश की सरकार नहीं बनीं थी.
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मुलायम के पुराने साथियों में सिर्फ मुहम्मद आजम खां बचे हैं. वह भी काफी समय से बीमार हैं.उनका इलाज चल रहा है.जनेश्वर मिश्र, कपिल देव सिंह और बेनी प्रसाद वर्मा दुनिया से पहले ही अलविदा कह चुके हैं.
रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद, बरेली