Bareilly News: लंबी बीमारी के बाद मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav Death) का 83 वर्ष की आयु में सोमवार यानी आज सुबह निधन हो गया. उनमें सियासी हवा को भांपने की गजब क्षमता थी. वह जिस बैकग्राउंड से राजनीति में आए और मजबूत होते चले गए. उसमें उनकी सूझबूझ थी, और हवा को भांपकर अक्सर पलट जाने की प्रवृत्ति भी. कई बार नेताजी ने अपने फैसलों और बयानों से खुद ही अलग कर लिया.
राजनीति में कई सियासी दलों और नेताओं ने उन्हें गैरभरोसेमंद माना, लेकिन हकीकत ये है कि यूपी की राजनीति में वह जब तक सक्रिय रहे, तब तक किसी न किसी रूप में अपरिहार्य बने रहे. मुलायम सिंह यादव ने सियासत के दांवपेच राम मनोहर लोहिया और चौधरी चरण सिंह से सीखे थे. उन्होंने 60 के दशक में राममनोहर लोहिया और चरण सिंह से सियासी दांवपेंच सीखने शुरू किए. लोहिया की संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी ने उन्हें 1967 में टिकट दिया और वह पहली बार में ही चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे.
इसके बाद वह लगातार प्रदेश के चुनावों में जीतते रहे. वह विधानसभा, तो कभी विधान परिषद के सदस्य बनते रहे. उनकी पहली पार्टी अगर संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी थी, तो दूसरी पार्टी बनी चौधरी चरण सिंह के नेतृत्व वाली भारतीय क्रांति दल. वह इस दल में 1968 में शामिल हुए. हालांकि, चौधरी चरण सिंह की पार्टी के साथ जब संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी का विलय हुआ, तो भारतीय लोकदल बन गया. ये मुलायम के सियासी पारी की तीसरी पार्टी बनी.
लोकसभा चुनाव में भी मुलायम के समय पार्टी मजबूत थी.चौधरी चरण सिंह राष्ट्रीय लोकदल में मुलायम सिंह के यादव के जबरदस्त असर और पकड़ के बाद भी अमेरिका से लौटे अपने बेटे अजित सिंह को पार्टी की कमान देनी शुरू कर दी.इससे ही खफा होकर मुलायम ने पार्टी छोड़कर 04 अक्टूबर 1992 को सपा का गठन किया.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पद तीन बार मुलायम सिंह यादव ने संभाला था.(1989 से 1991, 1993 से 1995 और 2003 से 2007) संभाला. साल 1996 से 1998 तक मुलायम सिंह यादव ने देश के रक्षामंत्री की जिम्मेदारी संभाली.
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने पुराने दल से सितंबर 1992 में नाता तोड़ लिया था.उनका कहना था कि, “भीड़ हम उन्हें जुटाकर देते हैं और पैसा भी. फिर वे (देवीलाल, चंद्रशेखर, वीपी सिंह आदि) हमें बताते हैं कि क्या करना है, क्या बोलना है. मगर, हम अपना रास्ता खुद बनाएंगे.
ऐसा नहीं है कि मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में समाजवादी पार्टी ने केवल विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया हो. 1996 में पहली बार सपा ने लोकसभा चुनाव लड़ा था. तब 111 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और इनमें से 16 को जीत मिली थी. 1998 में 166 में से 19, 1999 में 151 में से 26, 2004 में 237 में से 36, 2009 में 193 में से 23 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की.
मुलायम सिंह ने 2012 विधानसभा चुनाव में जीत के बाद अखिलेश यादव को सीएम बनाया था.इसके बाद 2014 में मोदी लहर में पार्टी का ग्राफ कमजोर हुआ. 197 में से केवल पांच प्रत्याशी ही सांसद चुने गए. इनमें भी सारे मुलायम परिवार के सदस्य थे. मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में ये आखिरी लोकसभा चुनाव सपा ने लड़ा था.
रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद, बरेली