Agra News: किसी ने क्या खूब कहा है कि, जमीं पे बैठ के क्या आसमान देखता है, परों को खोल जमाना उड़ान देखता है. इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है, आगरा की रहने वाली बेटी पूनम यादव ने, जोकि आज युवाओं के लिए एक रोड मॉडल बन चुकी हैं. सामान्य परिवार में पली-बढ़ी इस बेटी के जुनून ने वह कर दिखाया, जिससे उसके परिवार सहित ताजनगरी आगरा का भी नाम रोशन हो रहा है. आइए स्वामी विवेकानंद की जयंती पर युवाओं को प्रेरणा देती अर्जुन अवॉर्डी और महिला भारतीय क्रिकेट टीम की बेहतरीन बल्लेबाज पूनम यादव की कहानी जानते हैं…
ताजनगरी के ईदगाह स्थित रेलवे कॉलोनी की रहने वाली पूनम यादव का जन्म अगस्त 1991 को हुआ था. उन्होंने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री हासिल की और आज पूनम युवाओं के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं. पूनम के घर वाले बताते हैं कि महज सात या आठ साल की उम्र से ही पूनम लड़कों की तरह हर काम करना चाहती थी. ऐसे में पूनम ने करीब 11 साल की उम्र में बैट और बॉल हाथ में थाम ली और क्रिकेट में पूरी तरह से खो गई.
पूनम यादव ने अपनी रोल मॉडल भारतीय महिला क्रिकेट टीम की प्रसिद्ध बल्लेबाज हेमलता काला को बनाया. उन्होंने हेमलता के खेल को देखकर खुद भी उसी तरह से करने की कोशिश की. दिन रात मेहनत की और इसी मेहनत की वजह से आज पूनम भारतीय महिला क्रिकेट टीम की तेजतर्रार लेग स्पिनर बॉलर हैं, और उनकी बॉलिंग की वजह से ही भारतीय महिला टीम अब तक कई मैच में बेहतरीन जीत हासिल कर चुकी है.
पूनम यादव के पिता रघुवीर यादव ने बताया कि, 2013 से 2022 तक पूनम भारतीय महिला क्रिकेट टीम की सदस्य थी. इस दौरान उसने कई सारे रिकॉर्ड बनाए और उसके नाम में पहली महिला बॉलर के तौर पर सबसे ज्यादा 98 विकेट लेने का रिकॉर्ड है. उन्होंने बताया कि पूनम चार भाई बहनों में तीसरे नंबर की है और शुरू से ही वह कुछ बड़ा करने की चाह में रहती थी.
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भारत सरकार ने 2019 में पूनम यादव को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया था. इस समय पूनम रेलवे की तरफ से सिकंदराबाद में क्रिकेट सीरीज खेल रही हैं. पूनम यादव अब युवाओं के लिए रोल मॉडल बन चुकी हैं. तमाम युवक और युवती उन्हें अपना रोल मॉडल बनाकर क्रिकेट की दुनिया में जाने की तैयारी भी कर रहे हैं. स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रवर्तित उत्प्रेरक मंत्र (उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए) को पूनम ने अपने जीवन में उतारा और बताया कि जिंदगी का रास्ता बना बनाया नहीं मिलता है, स्वयं को बनाना पड़ता है.
रिपोर्टर- राघवेन्द्र सिंह गहलोत, आगरा