11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गोरखपुर में बंगाली समिति ने 1896 में शुरू की थी दुर्गा पूजा, कोलकाता से आए कलाकार बनाते हैं प्रत‍िमा

जनपद में दुर्गा पूजा की शुरुआत गोरखपुर जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉक्टर योगेश्वर राय ने 1896 में अस्पताल परिसर में ही शुरू की थी. आज कोतवाली थानाक्षेत्र के दुर्गाबाड़ी में यह प्रतिमा रखी जाती है. 1953 से लगातार दुर्गा बाड़ी में यह मूर्ति रखी जा रही है.

Durga Puja 2022: गोरखपुर में दुर्गा पूजा शुरू करने का श्रेय शहर के बंगाली समिति को जाता है. आज दुर्गा पूजा ने भव्य रूप ले लिया है. जनपद में दुर्गा पूजा की शुरुआत गोरखपुर जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉक्टर योगेश्वर राय ने 1896 में अस्पताल परिसर में ही शुरू की थी. आज कोतवाली थानाक्षेत्र के दुर्गाबाड़ी में यह प्रतिमा रखी जाती है. 1953 से लगातार दुर्गा बाड़ी में यह मूर्ति रखी जा रही है. दुर्गा बाड़ी में जो मां दुर्गा की प्रतिमा बैठाई जाती है वह कोलकाता से आए कलाकार बनाते हैं. दुर्गा बाड़ी में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद की विशेष व्यवस्था की जाती है.

मेले की व्यवस्था भी की

बंगाली समिति की ओर से शुरू की गई दुर्गा पूजा ने आज गोरखपुर में भव्य रूप ले लिया है. गोरखपुर में हजारों की संख्या में मां दुर्गा की मूर्ति नवरात्र में बैठाई जाती है.यहां पर प्रसाद वितरण के साथ-साथ भव्य पंडाल भी बनाए जाते हैं. शहर में दुर्गाबाड़ी, कालीबाड़ी, रेलवे स्टेशन सहित कई जगहों पर भव्य मूर्तियां बैठाई जाती हैं. बड़े पंडालों के साथ-साथ यहां मेले की व्यवस्था भी की जाती है. लाखों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए आते हैं.

Also Read: गोरखपुर में 16 करोड़ की सौगात से सीएम योगी आदित्यनाथ करेंगे शक्ति उपासना का शुभारंभ, जानें खूबियां गोरखपुर में क्या है दुर्गा पूजा का इतिहास

सन 1896 में गोरखपुर जिला अस्पताल में सिविल सर्जन रहे डॉक्टर योगेश्वर राय ने दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी. 1930 तक यहां पर दुर्गा पूजा निरंतर होता रहा. 1903 में प्लेग महामारी फैली जिसके कारण दुर्गा पूजा बंद करनी पड़ी जो 1906 तक बंद रही. 1960 से 1907 से 1909 तक जुबली कॉलेज के प्रधानाचार्य राय साहब अघोरनाथ चटर्जी व डॉक्टर राधा विनोद राय ने जुबली कॉलेज में दुर्गा प्रतिमा की शुरुआत की थी. 1910 में आर्य नाटक मंच का गठन हुआ. इसी समय दुर्गा पूजा अलहदादपुर में स्थानांतरित हो गई. दुर्गा पूजा को गति और व्यवस्थित रूप मिले इसके लिए 1928 में आर्य नाट्य मंच और सुहृदय समिति का विलय कर बंगाली समिति का गठन हुआ. इसने दुर्गा पूजा की जिम्मेदारी संभाल ली. इसी समय दुर्गा पूजा स्थानांतरित होकर भगवती प्रसाद रईस के हाते में आ गई. कुछ वर्षों बाद यह पूजा चरनलाल चौराहे पर आयोजित होने लगी.

Undefined
गोरखपुर में बंगाली समिति ने 1896 में शुरू की थी दुर्गा पूजा, कोलकाता से आए कलाकार बनाते हैं प्रत‍िमा 2
115वें वर्ष में  दुर्गा मूर्ति बैठा रही

1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के समय सरकार ने चरनलाल चौराहे स्थित वह भवन अधिग्रहण कर लिया .तो समिति ने दुर्गा पूजा को दीवान बाजार में स्थानांतरित कर दिया. 1953 में बाबू महादेव प्रसाद रईस ने अपने पिता भगवती प्रसाद की स्मृति में समिति को एक भूखंड प्रदान किया जहां आज दुर्गाबाड़ी है 1953 में स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को इस भूमि का पूजन हुआ और तभी से यह समिति की ओर से दुर्गा पूजन का आयोजन होने लगा. इस बार बंगाली समिति गोरखपुर में 115वें वर्ष में  दुर्गा मूर्ति बैठा रही है. बंगाली समिति दुर्गा बाड़ी में श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्था करती है. यहां पंडाल के साथ-साथ दुर्गाबाड़ी परिसर में स्टाल की भी व्यवस्था की जाती है जहां खानपान के सामान बिकते हैं.

विसर्जन के दिन रथ की व्यवस्था की

बंगाली समिति हर दिन अपने श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग प्रसाद की व्यवस्था करती है लेकिन अष्टमी, नवमी और दशमी को प्रसाद की कुछ विशेष ही व्यवस्था समिति के द्वारा किया जाता है. बंगाली समिति यहां बच्चों से लेकर महिलाओं के प्रोग्राम भी कराती है और उन्हें पुरस्कार भी देती है. अबकी बार बरसात को देखते हुए बंगाली समिति ने विसर्जन के दिन रथ की व्यवस्था की है. इससे माता दुर्गा की मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाया जाएगा. बंगाली समिति शुरू से ही कंधों पर मां दुर्गा की मूर्ति को विसर्जन के लिए ले जाती रही है. 2013 में जब हुद हुद चक्रवाती तूफान आया था तब भी बंगाली समिति ने रक्त की व्यवस्था की थी.

Also Read: नवरात्र‍ि के व्रत में तुरंत बना सकते हैं ये स्‍वादिष्‍ट व्‍यंजन, बनाने की विधि यहां पढ़ें…

रिपोर्ट : कुमार प्रदीप

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें