UP Election: ‘यूपी में का बा’ गाने के जवाब में जनसैलाब देख भड़कीं नेहा सिंह राठौर, कवियों को बताया दरबारी
बिहार की लोकगायिक नेहा सिंह राठौर ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर उन लोगों पर सवाल उठाया है जो लगातार यूपी में का बा गाने के जवाब में गाने गा रहे हैं.
UP Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा 2022 के लिए जितना प्रचार जमीन पर हो रहा है, उससे कहीं ज्यादा प्रचार सोशल मीडिया पर हो रहा है. जिसमें गाने के जरिए अलग-अलग पार्टियों को निशाना बनाया जा रहा है. इस बीच बिहार की लोकगायिक नेहा सिंह राठौर ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर उनके ख़िलाफ़ लगातार यूपी में का बा गाने को लेकर चल रही जवाबदेही पर सवाल उठाया है.
नेहा सिंह ने सोशल मीडिया पर जताई नाराजगी
नेहा सिंह राठौर ने उनके ख़िलाफ़ बनाए जा रहे वीडियो पर कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते हैं कि वे जनता और सरकार के बीच सीधा संवाद प्रस्तुत करें. इसके लिए सोशल मीडिया पर इस तरह के कवियों की बाढ़ आती जा रही हैं. अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट वीडियो में लोकगायिक नेहा सिंह राठौड़ ने कहा कि मैने सिर्फ यूपी में का बा गाने के माध्यम से जनता की बाते सरकार तक पहुंचाने का कार्य किया है.
नेहा सिंह ने सरकार के समर्थन में गाने वालों को बताया दरबारी
नेहा सिंह ने आगे कहा कि, कुछ लोग इसे सहन नहीं कर पा रहे हैं और तमाम कवियों की फौज उनके इस गाने को लेकर चुनाव के मद्देनजर सोशल मीडिया पर उतार दी है. उन्होंने ऐसे लोगों पर तंज कसते हुए कहा कि, उनके लिए बस यही कहना चाहती हूं कि पहले के राज दरबारों में ऐसे कवियों की फौज थी जो राजा के सामने चंद सिक्कों को देखकर कविताएं उनकी ही प्रसंशा के लिए करते रहते थे, बिल्कुल इसी तर्ज पर ये कवि भी सत्ता की चाटुकारिता करते हुए सरकार की प्रसंशा अपने गानों के माध्यम से कर रहे हैं.
दरबारियों ने जनता को भर्मित कर रखा- नेहा सिंह
ये लोग नहीं चाहते हैं कि इस चुनाव में जनता और सरकार के बीच की कड़ी बनकर मैं संवाद स्थापित करूं. इन लोगों को यह समझना होगा कि लोकतंत्र में चुनाव के ठीक पहले का ही समय ऐसा होता है जब सरकार की पूछ दबी होती हैं. ये वही टाइम है जब आप अपनी नाराजगी सरकार से दर्ज करा सकते हैं, लेकिन ऐसे संवेदनशील मौके पर भी इन दरबारियों ने जनता को भर्मित कर रखा है. ये तमाम वीडियो वायरल कर सरकार के बोल को बोल रहे हैं, ताकि सरकार इनसे खुश होकर इनको कोई पद दे दे.
रिपोर्ट- विपिन सिंह