Bareilly News: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव का 83 वर्ष की उम्र में 10 अक्टूबर को लंबी बीमारी के बाद गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था. उनके निधन से सपाइयों के साथ ही देश भर में नेताजी को चाहने वाले लाखों लोग गमजदा थे. सपा संस्थापक के निधन के बाद उनके पौत्र (पोते) अर्जुन यादव ने टि्वटर हैंडल से 15 जनवरी को नेताजी को भारत रत्न देने की मांग उठाई थी. उनकी इस मांग का सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने समर्थन किया था.
इस खबर को “प्रभात खबर ने प्रमुखता से डिजिटल वेबसाइट पर चलाया” था. इसके बाद लोगों का काफी समर्थन मिला था. नेताजी के चाहने वालों को भारत रत्न मिलने की उम्मीद थी. मगर, केंद्र सरकार ने 25 जनवरी को मुलायम सिंह यादव के नाम से पदम विभूषण का ऐलान कर दिया. इसके बाद से यूपी की सियासत गर्मा गई है. पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ ही मैनपुरी की सांसद डिंपल यादव ने भी भारत रत्न न मिलने पर नाराजगी जताई है. इसके बाद से यूपी की सियासत गर्मा गई है. सपा आने वाले नगर निकाय और लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा पर भारत रत्न के बहाने निशाना साध रही है.
अर्जुन यादव के ट्विटर हैंडल पर नेताजी मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के पुराने नेताओं की फोटो भी लगी है. समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह के साथ ही बदायूं के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव भी नेताजी के साथ खड़े हैं. यह काफी पुराना है. जिसमें 13.1 लाख पॉइंट से अधिक फॉलोअर्स हैं. इसके फर्जी होने की भी अफवाह उड़ती है. मगर, सपा की तरफ से कोई ऐतराज नहीं किया गया है. यह काफी समय से लगातार चल रहा है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पुत्र अर्जुन यादव के ट्विटर हैंडल से सबसे पहले सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को भारत रत्न देने की मांग की गई थी.
ट्विटर पर लोगों से नेताजी को भारत रत्न देने को लेकर राय मांगी गई. इस पर नीतीश यादव, राम सिंह यादव, सुशील कुमार वर्मा, डॉ. योगेश यादव, अरविंद कुमार, हिमांशु यादव और निरंजन यादव आदि ने भी सोशल मीडिया पर नेताजी को भारत रत्न देने की मांग की थी. इसके साथ ही गोंडवाना समाज के सैकड़ों कार्यकर्ताओं के मुलायम सिंह यादव को भारत रत्न मांग की. उन्होंने रैली भी निकाली थी.
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देश के सबसे बड़े सूबे के मुख्यमंत्री की तीन बार कुर्सी संभालने वाले मुलायम सिंह यादव को ‘नेताजी’ की पहचान बरेली से मिली थी.यहां 1967 में एक बुजुर्ग ने कर्यक्रम में नेताजी के नाम से संबोधन किया था. इसके बाद मुलायम सिंह यादव की पहचान ही नेताजी हो गई.वह 3 बार यूपी के सीएम बने थे.
मुलायम सिंह के सत्ता में आने के बाद ओबीसी जातियों का उदय हुआ. 27 फीसद की आरक्षण में शुरुआत की गई. उनकी इस राजनीति के चलते भाजपा को भी 1991 में ओबीसी नेता कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाना पड़ा. मुलायम सिंह ने सबसे अधिक यादव वोटर्स को अपनी तरफ खींच कर ओबीसी का प्रतिनिधि किया. इसके बाद ओबीसी के बड़े नेता बने. मुलायम सिंह यादव की राजनीति की बदौलत सवर्णों को पीछे करना पड़ा. ओबीसी जातियों का सियासत में उदय हुआ. वह यूपी के तीन बार मुख्यमंत्री और एक बार केंद्र में रक्षा मंत्री रहे थे.
रिपोर्ट : मुहम्मद साजिद, बरेली