Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti: आजादी की लड़ाई की अलख जगाने दो बार लखनऊ आये थे नेताजी सुभाष चंद्र बोस
नेताजी सुभाष चंद्र बोस का लखनऊ से विशेष नाता रहा है. वह 1938 और 1940 में लखनऊ आये. यहां के युवाओं से देश को आजादी कराने की लड़ाई लड़ने का आह्वान किया. उनकी विशेष यादें आज भी हीवेट रोड स्थित बंगाली क्लब में मौजूद हैं.
Lucknow: “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा” ये नारा सुनते ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस का रोबीला चेहरा आंखों के सामने आ जाता है. वह सुभाष चंद्र बोस जिन्होंने भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिये आजाद हिंद फौज का गठन किया. देश को आजाद कराने की लड़ाई की अलख जगाने के लिये नेताजी सुभाष चंद्र बोस लखनऊ भी आये थे. इसकी यादें आज भी हीवेट रोड स्थित बंगाली क्लब में मौजूद हैं.
बंगाली क्लब में युवाओं को किया था संबोधित
नेताजी सुभाष चंद्र बोस 20 नवंबर 1938 को कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार हीवेट रोड लखनऊ स्थित बंगाली क्लब आये थे. बंगाली क्लब से जुड़े सदस्य बताते हैं कि उनको युवक समिति ने आमंत्रित किया था. अपने इस दौरे में नेताजी को अभिनंदन पत्र सौंपा गया था. इस अभिनंदन पत्र की प्रति आज भी बंगाली क्लब के पास मौजूद है.
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झंडे वाला पार्क में युवाओं को किया था संबोधित
नेताजी सुभाष चंद्र को दिया गया अभिनंदन पत्र बंगाली भाषा में लिखा गया था. बंगाली क्लब में आयोजित समारोह में नेताजी ने युवाओं को संबोधित भी किया था. इसके अलावा अमीनाबाद स्थित झंडे वाला पार्क में उन्होंने भाषण दिया था. जिससे युवाओं में देश को आजाद कराने का जज्बा पैदा हो सके. अपनी इस दौरे में वह बंगाली समाज के कई जाने-माने लोगों से मिले थे.
लखनऊ का दूसरा दौरा सन् 1940 में
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने लखनऊ का दूसरा दौरान सन् 1940 में किया था. वह काकोरी ट्रेन एक्शन के क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री के बुलावे पर लखनऊ आये थे. क्रांतिकारी रामकृष्ण खत्री फारवर्ड ब्लॉक के संस्थापक सदस्य थे और यूपी फारवर्ड ब्लॉक के महासचिव थे. अपने इस दौरे में भी नेताजी ने युवाओं के साथ कई मीटिंग की थी. जिससे देश को आजाद कराने की लड़ाई को मजबूत किया जा सके.