Bareilly News: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में पिछड़ा वर्ग (OBC) आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. अब हाईकोर्ट की स्पेशल बेंच 27 दिसंबर को अपना फैसला सुनाएगी. मगर, इससे निकाय चुनाव टलने के आसार बन गए हैं. हाईकोर्ट ने सुनवाई में सीधे तौर पर ट्रिपल टेस्ट न कराने और 2017 के रैपिड टेस्ट को आधार मानकर आरक्षण देने पर सवाल उठाया है.
मगर, बार- बार बढ़ती तारीखों से दावेदारों की टेंशन काफी बढ़ गई है.उनको चुनाव यूपी बोर्ड एग्जाम के बाद यानी अप्रैल- मई में होने की उम्मीद सताने लगी है. जिसके चलते दावेदारों ने मतदाताओं को रिझाने पर किए जा रहे खर्च को कम कर दिया है. बरेली के तमाम दावेदारों ने कार्यालय तक बंद करा दिए हैं. इसके साथ ही सियासी दल भी बढ़ती तारीखों से चिंतित हैं.पार्टी कार्यालयों पर टिकट के लिए आने वाले दावेदारों की संख्या में कमी आने लगी है.
नगर निकाय चुनाव में खर्च की सीमा काफी कम है, लेकिन दावेदार चुनाव जीतने के लिए लाखों रुपए खर्च कर चुके हैं. मतदाताओं को रिझाने के लिए नगर पंचायतों में चिकन मटन की पार्टियां चल रही हैं.इसके साथ ही चाय, समोसा, अंडा तो आम बात है.
नगर निकाय चुनाव 2017 में निर्वाचन आयोग ने 28 अक्टूबर को अधिसूचना जारी की थी. इसमें पहले चरण की वोटिंग 22 नवंबर को हुई.इसके बाद दूसरे चरण की 26 नवंबर, जबकि तीसरे नवंबर की वोटिंग 19 नवंबर को हुई थी. यूपी की सभी निकाय की मतगणना 01 दिसंबर को की गई थी. मगर, इस बार चुनाव की अधिसूचना लगातार आगे बढ़ती जा रही है.चुनाव कराने के लिए करीब 35 से 45 दिन चाहिए.ऐसे में 16 फरवरी से बोर्ड एग्जाम के प्रैक्टिकल एवं एग्जाम शुरू हो जाएंगे.इससे चुनाव बोर्ड एग्जाम के बाद होने की उम्मीद जताई जाने लगी है,जो दावेदारों की टेंशन बढ़ा रही है.
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यूपी सरकार ने अपनी आपत्ति में कहा था कि इस काम से चुनाव अधिसूचना में देरी हो रही है. यह भी कहा गया कि 5 दिसंबर की अधिसूचना का एक मसौदा है, इस पर असंतुष्ट पक्ष आपत्ति दाखिल कर सकते हैं. हाईकोर्ट ने योगी आदित्यनाथ सरकार के तर्क से असंतुष्ट होकर चुनाव अधिसूचना के साथ ही 5 दिसंबर के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन पर भी रोक लगा दी थी.
रिपोर्ट मुहम्मद साजिद बरेली