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UP Nikay Chunav: ओबीसी आरक्षण पर HC के फैसले से विपक्ष को मिली संजीवनी, मतदाताओं को साधने में जुटे दल

Uttar Pradesh Nagar Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश के नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट के फैसले से विपक्ष को एक प्रकार की संजीवनी मिल गई है. इस बीच अब विपक्षी दल, दलित-पिछड़े मतदाताओं को साधने में जुट गए हैं.

Bareilly News: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को हाईकोर्ट (HC) ने 27 दिसंबर को रद्द कर दिया था. इससे भाजपा को बड़ा झटका लगा है, लेकिन सपा, बसपा, कांग्रेस आदि विपक्षी दलों को संजीवनी मिल गई है. यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश समेत देश की 543 लोकसभा सीटों में से 193 सीट पर ओबीसी निर्णायक भूमिका में है, जबकि एससी (दलित) मतदाता सभी 543 सीटों पर अच्छी संख्या में हैं.

यूपी की सियासत में ओबीसी की अहम भूमिका

दरअसल, यूपी और बिहार की सियासत ओबीसी के इर्द-गिर्द ही घूमती है. ऐसे में सभी विपक्षी सियासी दल ओबीसी आरक्षण को लेकर भाजपा सरकार को घेरने की कोशिश में जुट गए हैं. सपा, ओबीसी आरक्षण को लेकर कोर्ट भी जा चुकी है. मगर, अब सपा-बसपा एससी और ओबीसी के बीच जाने की तैयारी में हैं. इसके लिए ओबीसी नेताओं को जिलेवार जिम्मेदारी देने की कवायद शुरू हो गई है. कांग्रेस ओबीसी नेताओं को संगठन में जगह देने की कोशिश में है. इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण पर भाजपा को घेरने की रणनीति बना रही है.

यूपी में ओबीसी हितेषी बनने की होड़

हाईकोर्ट के ओबीसी आरक्षण पर फैसले के बाद सभी सियासी दल ओबीसी हितैषी बनने की कोशिश में हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा पर दलितों का आरक्षण छीनने का आरोप लगाया है. इसके साथ ही आरक्षण विरोधी भाजपा निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण के विषय पर घड़ियाली सहानुभूति दिखाने की बात कही थी. बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी योगी सरकार को घेरकर ट्वीट किया था. ट्वीट में कहा कि, हाईकोर्ट का फैसला सही मायने में भाजपा व उनकी सरकार की ओबीसी एवं आरक्षण-विरोधी सोच व मानसिकता को प्रकट करता है.

निकाय चुनाव जुलाई में होने की उम्मीद

उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव लटक गए हैं, लेकिन इस पूरे मामले से उत्तर प्रदेश में ओबीसी आरक्षण का जिन्न बाहर आ गया है. सभी विपक्षी दलों ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे को तुरंत लपक लिया. सभी सियासी दल योगी सरकार को पिछड़ी जातियों का विरोधी करार देने में लगे हैं.

यूपी में पिछड़ी जातियों के पास सत्ता की चाबी

उत्तर प्रदेश और बिहार में सत्ता की डोर पिछड़ों के हाथ में मानी जाती है. यूपी में पिछड़ी जातियों का कुल आबादी का 52 फीसदी हिस्सा है. 90 के दशक के बाद से देश में ओबीसी सियासत ने तेजी पकड़ी. इसके बाद ही यूपी में मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह सहित कई बड़े नाम सामने आए थे. इस समय भी हर पार्टी के पास पिछड़ी जाति के नेताओं की मजबूत हिस्सेदारी है.

भाजपा सरकार से चूक या कहनी कुछ और…

हाईकोर्ट के आदेश की बात करें, तो जिस तरह से विपक्षी दल योगी सरकार को घेरने में जुटे हैं, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वाकई योगी सरकार से ओबीसी आरक्षण को लेकर राजनीतिक चूक हो गई? या इसके पीछे कहानी कुछ और ही है.

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रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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