UP Chunav 2022: निषाद कराएंगे चुनावी वैतरणी पार, 20 सीटों पर जीत-हार में निभाते हैं भूमिका

भाजपा, कांग्रेस, सपा ने चले अपने-अपने दांव, सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी भी उतरे मैदान में, निषाद पार्टी-भाजपा का गठबंधन

By Amit Yadav | December 17, 2021 4:03 PM
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UP Election: यूपी विधान सभा चुनाव में निषाद समुदाय इस बार बड़ी भूमिका निभाएगा. उत्तर प्रदेश में दावा किया जा रहा है कि निषाद समुदाय 150 से अधिक सीटों पर प्रभाव रखता है. इसलिए सपा, भाजपा, कांग्रेस, तीनों ही इस समुदाय को अपने पाले में लाने की कवायद में जुटे हैं.

गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़, वाराणसी, अयोध्या, प्रयागराज मंडल में निषाद वोटर किसी भी पार्टी की हार-जीत में अहम भूमिका निभा सकता है. यही कारण है कि भाजपा ने निषाद पार्टी को अपने पाले में लाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. गृह मंत्री अमित शाह ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई और लखनऊ में शुक्रवार को होने वाली रैली में वह मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए.

उत्तर प्रदेश की राजनीति में निषाद पार्टी के प्रमुख डॉ. संजय निषाद इस बार बड़ी भूमिका में हैं. पिछड़ी आबादी में उनकी जाति की हिस्सेदारी लगभग 18 प्रतिशत है. पूर्वांचल की अलग-अलग विधानसभा सीटों पर निषाद, केवट, मल्लाह और बिंद समाज का 10 से 40 हजार वोट है. इसी के चलते डॉ. संजय भाजपा पर 20 से अधिक सीटें देने का दबाव बना रहे हैं. जिसके लिए भाजपा तैयार नहीं है.

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कांग्रेस पार्टी भी निषाद समुदाय को आने पक्ष में लाने के लिए लगतार जुटी है. प्रियंका गांधी के नेतृत्व में निषाद समुदाय के अधिकारों और उन्हें पट्टा देने को लेकर आंदोलन चलाया गया. बनारस से प्रयागराज तक बोट यात्रा निकाली गई. बोट पर चर्चा हुई. यही नहीं उन्होंने गुरु मत्स्येंद्र नाथ के नाम से गोरखपुर में विश्वविद्यालय स्थापित करने वायदा भी किया है.

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने निषाद समुदाय को साधने के लिए पूर्व सांसद स्व. फूलन देवी का सहारा लिया है. वहीं पार्टी के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ का अध्यक्ष राजपाल कश्यप को बनाया गया है. राजपाल कश्यप अखिलेश के खास सिपहसालारों में हैं और वह एमएलसी भी हैं. चुनाव से पहले अति पिछड़ा वर्ग को अपने साथ लाने के लिए राजपाल कश्यप ने प्रदेश भर का दौरा किया था.

स्वयं को सन ऑफ मल्लाह कहने वाले मुकेश सहनी भी यूपी की राजनीति में एंट्री कर गए हैं. उन्होंने विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) का कार्यालय यूपी में शुरू कर दिया है. यहां वह सपा की पूर्व सांसद रही स्व. फूलन देवी के सहारे मैदान में उतरे हैं. समाजवादी पार्टी को छोड़ने वाले लोटन राम निषाद को उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी दी. लेकिन इससे पहले वह यूपी की राजनीति में एक्टिव होते, निषाद पार्टी का भाजपा से गठबंधन हो गया. यही नहीं लोटन राम निषाद भी उनका साथ छोड़कर चले गए. इससे वीआईपी इन दिनों यूपी के राजनीतिक मैदान से गायब है.

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डॉ. संजय निषाद की पार्टी एक बार भाजपा को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ में ही झटका दे चुकी है. 2017 के उप चुनाव में संजय निषाद की पार्टी ने सपा और पीस पार्टी के साथ मिलकर भाजपा प्रत्याशी को हरा दिया था. यह ऐसा मौका था जब गोरखपुर में तीन दशक बाद भाजपा के प्रत्याशी को निषाद पार्टी प्रमुख के बेटे प्रवीण निषाद ने हरा दिया था. हालांक 2019 में यह गठजोड़ टूट गया और फिर से गोरखपुर की लोकसभा सीट भाजपा के पास आ गई थी.

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