उत्तर प्रदेश के कई जिलों में एक तरफ जहां वायरल बुखार और डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश में डेंगू के D2 स्ट्रेन ने भी दस्तक दे दी है. ICMR के मुताबिक इस स्ट्रेन से कई जगहों पर मौतें भी हुई है. यह स्ट्रेन सामान्य डेंगू से काफी खतरनाक माना गया है.
आईसीएमआर के निदेशक-जनलर डॉक्टर बलराम भार्गव के अनुसार यूपी के मथुरा, फिरोजाबाद, आगरा में ज्यादातर मौतें डेंगू के D-2 स्ट्रेन से ही हुई हैं. बात करें पिछले 24 घंटे की तो यहां के चार जिलों में 14 लोगों की जान गई है. वहीं अब तक प्रदेश में 171 लोग इस वायरल फीवर की चपेट में आकर जान गवा चुके हैं.
आईसीएमआर के निदेशक ने कहा कि यह स्ट्रेन काफी खतरनाक है. इस स्ट्रेन में खून काफी पतला हो जाता है. साथ ही रक्त रिसाव होता है, जो जानलेवा साबित हुआ है. ICMR ने लोगों से अपील की है कि आसपास के इलाकों में कहीं भी बारिश का पानी न जमा होने दें. आसपास सफाई बनाए रखें, जिससे आप इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें.
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डेंगू वायरस सीरोटाइप-2 (डी-2) को सबसे अधिक विषाणुजनित स्ट्रेन के रूप में जाना जाता है. यह चार सीरोटाइप हैं. डीईएनवी (डी) 1, 2, 3 और 4। डी-1 और 4 में तेज बुखार, प्लेटलेट काउंट कम होना और शरीर में दर्द होता है. यह स्ट्रेन अक्सर ब्लीडिंग का कारण बनता है. इसके अलावा यह प्लेटलेट काउंट को भी प्रभावित करता है.
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सामान्य डेंगू – इसमें तेज फीवर के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है. यह 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.
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डेंगू हैमेरेजिक फीवर – इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं और खून बहने लगता है, जो रुकता नहीं है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में पहुंचता है. जो बुखार जानलेवा हो सकता है.
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डेंगू शॉक सिंड्रोम – इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है
डेंगू के डी-2 में तेज बुखार के साथ इंटरनल ब्लीडिंग होता है, जिससे शरीर पर चकत्ते पड़ सकते हैं. डी-3 में डेंगू हैमरेजिक फीवर में ब्लीडिंग (नाक, पेट, दिमाग, मसूड़े से रक्तस्राव) होने लगती है. प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है. गुर्दा सहित शरीर के अन्य अंग प्रभावित होने लगते हैं और मौत भी हो जाती है.
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घर और कार्य स्थल पर स्वच्छता रखें
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बारिश या पानी कहीं जमा न होने दें
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बुखार होने पर लापरवाही न करें और डॉक्टर को दिखाएं
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मच्छरों से सावधान रहें
Posted By Ashish Lata